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भारद्वाजस्मृति
१८३ १७ यज्ञोपवीतमन्त्रस्य ऋषिच्छन्द आदीनां वर्णनम् : ३१६३ यज्ञोपवीत मन्त्र के ऋषि छन्द देवता आदि का विस्तार से वर्णन १-३१
१८. सप्रयोजनकुशलक्षणवर्णनम् : ३१६६ कुशों के बिना कोई भी नित्यनैमित्तिक क्रिया का सम्पादन शक्य नहीं अत: कौन ग्राह्य है और कौन अग्राह्य है इसका निरूपण
१-१३१ १६. व्याहृतिकल्पवर्णनम् : ३२०९ व्याहृतियों का विस्तार से निरूपण
१-४८ व्याहृतियों से सम्पूर्ण कार्यसिद्धि शक्य है
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