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________________ १८० भारद्वाजस्मृति काम और कामादिकृत पापों के प्रायश्चित्त के लिए विशेष वर्णन १६-१६ बालक वृद्ध और स्त्रियों के लिए प्रायश्चित्त २०-२१ ११. गोवधप्रायश्चित्तकथनम् : ३०८१ गोवध करने वाले का प्रायश्चित्त वर्णन १-११ १२. कृच्छादिस्वरूपकथनम् : ३०८३ प्रायश्चित्तविधि १-४ कृच्छ्रादि का स्वरूप कथन ५-८ ब्राह्मण महिमा समस्तसम्पत्समवाप्तिहेतवः समुत्थितापत्कुलषमकेतवः । अपारसंसारसमुद्रसेतवः पनन्तु मां ब्राह्मणपादपासवः ।। ८-२० भारद्वाजस्मृति १. सन्ध्यादिप्रमुखकर्मविषय : ३०८५ नित्यनैमित्तिक क्रियायों को लेकर प्रश्न नित्यनुष्ठानों के न करने वालों की सभी क्रियायें निष्फल होती हैं। दिशाओं के निर्णय से लेकर प्रायश्चित्त तक २५ अध्यायों का संक्षेप से निरूपण २. दिग्भेदज्ञानवर्णनम् : ३०८७ पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण दिशाओं के ज्ञान की सरलविधि अन्य दिशाओं का परिज्ञान प्रकार ३. विण्मत्रोत्सर्जनविधिवर्णनम : ३०६४ । मलमूत्र विसर्जन की विधि ४. आचमनविधिवर्णनम् : ३०६७ आचमन के पूर्व जङ्घा से जानु तक या दोनों चरणों को और हाथों को अच्छी प्रकार धोकर आचमन का विधान १-४ ५-७७ १-८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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