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________________ आङ्गिरसस्मृति १७५ रोदन का फल ५७२-५८५ उर्वारु महिमा ५८६-६०३ उर्वारु को छोड़ने में दोष ६०४-६०५ छियानवे श्राद्धों का वर्णन १०८ श्राद्ध प्रकृति श्राद्ध, दशं श्राद्ध, दर्श और आव्दिक समान हैं मन्वादि श्राद्ध, संक्रान्ति श्राद्ध, संक्रान्ति पुण्यवास ६२०-६४८ अन्न श्राद्ध में कुतप ६४६-६५४ दर्श संक्रान्ति आदि श्राद्ध ६५५-६५७ महालय ६५७-६५६ श्राद्ध देवता पित्र्य कर्मों में प्रदक्षिणा न करे । शून्य ललाट रहे गहालङ्कार भी न करे ६६५-६६७ मार्तवर्ग में प्रदक्षिणादि और अलङ्कार ६६८-६७० श्राद्धभेद से विश्वेदेव, सापिण्ड वर्णन ६७१-६७५ आशौच दश, तीन और एक दिन रहता है ६७६-६८३ अमादि श्राद्ध में कर्तव्य ६८४-६८७ एकोद्दिष्ट के अधिकारी ६८८-६६३ अपिण्डक और सपिण्डक श्राद्ध ६६०-६६० छियानवे श्राद्धों की संख्या का विचार ६६४-७०० महालय, सकृन्महालय में भरण्यादि की विशेषता महालय का काल यतियों का महालय, दुर्मूतों का महालय ७०१-७०६ सुमङ्गली का श्राद्ध ७१०-७१८ रवि के उदय से पूर्व तर्पण ७१६ निमन्त्रणाहविप्राणांवर्णन : ३०२५ जीवत्पितक श्राद्ध ७२०-७२२ श्राद्ध में वैदिक अग्नि के अधिकारी ७२३-७२६ अष्टकामासिक श्राद्ध ७२७-७३२ श्राद्ध प्रयोग में निमन्त्रण के योग्य व्यक्तियों का वर्णन ७३३-७३६ वेदहीन को निमन्त्रण देने पर निषेध एवं प्रायश्चित्त ७३७-७४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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