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आङ्गिरसस्मृति
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रोदन का फल
५७२-५८५ उर्वारु महिमा
५८६-६०३ उर्वारु को छोड़ने में दोष
६०४-६०५ छियानवे श्राद्धों का वर्णन १०८ श्राद्ध प्रकृति श्राद्ध, दशं श्राद्ध, दर्श और आव्दिक समान
हैं मन्वादि श्राद्ध, संक्रान्ति श्राद्ध, संक्रान्ति पुण्यवास ६२०-६४८ अन्न श्राद्ध में कुतप
६४६-६५४ दर्श संक्रान्ति आदि श्राद्ध
६५५-६५७ महालय
६५७-६५६ श्राद्ध देवता पित्र्य कर्मों में प्रदक्षिणा न करे । शून्य ललाट रहे गहालङ्कार भी न करे
६६५-६६७ मार्तवर्ग में प्रदक्षिणादि और अलङ्कार
६६८-६७० श्राद्धभेद से विश्वेदेव, सापिण्ड वर्णन
६७१-६७५ आशौच दश, तीन और एक दिन रहता है
६७६-६८३ अमादि श्राद्ध में कर्तव्य
६८४-६८७ एकोद्दिष्ट के अधिकारी
६८८-६६३ अपिण्डक और सपिण्डक श्राद्ध
६६०-६६० छियानवे श्राद्धों की संख्या का विचार
६६४-७०० महालय, सकृन्महालय में भरण्यादि की विशेषता महालय का काल यतियों का महालय, दुर्मूतों का महालय
७०१-७०६ सुमङ्गली का श्राद्ध
७१०-७१८ रवि के उदय से पूर्व तर्पण
७१६ निमन्त्रणाहविप्राणांवर्णन : ३०२५ जीवत्पितक श्राद्ध
७२०-७२२ श्राद्ध में वैदिक अग्नि के अधिकारी
७२३-७२६ अष्टकामासिक श्राद्ध
७२७-७३२ श्राद्ध प्रयोग में निमन्त्रण के योग्य व्यक्तियों का वर्णन
७३३-७३६ वेदहीन को निमन्त्रण देने पर निषेध एवं प्रायश्चित्त
७३७-७४०
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