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शाण्डिल्य स्मृति स्नान प्रकरण के साथ नित्य कृत्यों का वर्णन
२८-६१ ३. उपादानविधिवर्णनम् : २८१३ द्वितीयकाल में करने योग्य भगवत्पूजन आदि का वर्णन । भक्ति का
लाभ जो श्रद्धालु एवं अपवर्ग के सुख को जानने वाले हैं उन्हें ही मिलता है
१-४६ बाह्य और आभ्यन्तर शुद्धियों का वर्णन । भोजन को अग्निदेव के समर्पण करने का वर्णन
५०-६० पाक में निषद्ध वृक्षों का इन्धन जलाने के लिए परिगणन
११-१०८ निषिद्ध और ग्रहण योग्य वस्तुओं का वर्णन
१०६-१२० ग्राह्य और निषिद्ध पेय का वर्णन
१२१-१३५ भोजन बनाने में कुशल सती स्त्री एवं निषिद्ध स्त्रियों के लक्षण १३६-१५० स्त्री के साथ सद्व्यवहार का वर्णन
१५१-१५८ इस प्रकार भगवत्प्रीत्यर्थ उपादानो का उपयोग कर गृहस्थ सुखी होता है
१५८-१६३ ४. इज्याचारवर्णनम् : २८२६ एक देव की पूजा ही इष्ट है, भगवद्भक्ति विषयक नियमों का
विस्तार से वर्णन । भागवतों की सदा पूजा करनी चाहिए। विष्णुभक्त गृहस्थों के कर्मों का वर्णन भगवत्पूजा प्रकार, शास्त्रों के श्रवण पठन का महत्त्व वर्णन, योगविधि का वर्णन, उपवास की प्रशंसा
१-२४२ ५. रात्रावन्त्ययामे योगकृत्यवर्णनम् : २८५१ भगवत्पूजा करने का विधान । योगधर्म वर्णन । भगवद्भक्त के
शीलाचार का निरूपण सभी कर्मों को भगवदर्पण बुद्धि से करने वाले मनुष्य का जन्म सफल होता है। शास्त्र की प्रशंसा
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