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________________ १५६ १-२६ ३०-५५ शाण्डिल्यस्मृति ४. प्रायश्चित्तवर्णनम् : २७७७ प्रायश्चित्तों का वर्णन ५. दुष्प्रतिग्रहादिप्रायश्चित्तवर्णनम् : २७७६ पाप समाचार की गति का वर्णन पापादि को दूर करने के लिए सहस्र कलशस्थापन का विधान ६. सहस्रकलशाभिषेकः : २७८४ सहस्र कलशों से अभिषेक का वर्णन ७. कलौ नौयात्राद्यष्टकर्मणां निषेधः २७८५ कलियुग में विधवा का पुनः उद्वाह, नाव से यात्रा, मधुपर्क में पशु का वध, शूद्रान्नभोजिता, सब वर्गों में भिक्षा मांगना, ब्राह्मणों के घरों में शूद्र की पाचनक्रिया, भृग्वग्निपतन वर्जित है वेन के पास ऋषियों का अनुरोधपूर्ण आवेदन ८. अष्टनिषिद्धकर्मणां प्रायश्चित्तवर्णनम् : २७८६ धनाढ्य व्यक्तियों को आठ निषिद्ध कर्मों के करने से सहस्र कलश स्नान, पञ्चवारुण होम, गायत्री पुरुश्चरण, महादान और सहस्र ब्राह्मण भोजन इत्यादि प्रायश्चित बतलाये हैं धनहीनाय प्रायश्चित्तवर्णनम् : २७६१ धनहीन के लिए प्रायश्चित का विधान -वह शिखा सहित मुण्डिक हो पुण्यतीर्थ में, या तालाब में, आकण्ठ जल में मग्न हो अघमर्षण जाप करे १-१४ १-१३ १-१२ शाण्डिल्पस्मृति .१ आचारवर्णनम् : २७६३ आचार के विषय में मुनियों का शाण्डिल्य से प्रश्नोत्तर द्विविधादेहशद्धिवर्णनम् : २७६५ दो प्रकार की देह शुद्धि का वर्णन । दूसरे की निन्दा पारुष्य, विवाद झूठ, निजपूजा का वर्णन, अतिबन्ध प्रलय, असह्य एवं मर्म वचन, आक्षेप वचन, असत् शास्त्र एवं दुष्टों के साथ संभाषण इत्यादि दुर्गुणों को त्याग कर स्वाध्याय, जप में रत, मोक्ष एवं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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