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________________ १५८ विवाहात्परतः स्त्रीणामस्वातन्त्र्यवर्णनम् २७४६ विवाह के बाद स्त्रियों की अस्वतन्त्रता का वर्णन शास्त्रदृष्टि से धर्मपालन का महत्त्व पुत्र के अभाव में दत्तक का विधान वर्णन समीचीन रण्डा का वर्णन उत्तमदण्डव्यवस्थावर्णनम् २७५६ उत्तम दण्ड व्यवस्था का वर्णन सुवासिनीनां शिरःस्नान निषेधः हरिद्वास्नानविधिः २७६१ सुवासिनी स्त्रियों को ग्रहण, रजोदर्शन, मङ्गल कार्य, चण्डालस्पर्श एवं यज्ञ के आदि व अन्त इत्यादि कार्यों में शीर्षस्नान तथा हरिद्रा के चूर्ण को जल में प्रक्षेप कर स्नानविधि कही है। पतिव्रताधर्माः २७६२ पति की सेवा बड़े से बड़ा धर्म दुराचाररता रण्डां वृष्ट्वा प्रायश्चित्तवर्णनम् २७६५ दुष्टचरित्र युक्त रण्डाओं के देखने से प्रायश्चित का विधान नानादण्ड्यकर्मसु दण्ड विधानवर्णनम् २७६७ नानादण्ड्य कर्मों में दण्डविधान का वर्णन नयप्राप्तराज्ये सर्वेषां सुखित्ववर्णनम् २७६८ नयप्राप्त राज्य में सभी के सुखी रहने का वर्णन नारायणस्मृति Jain Education International ४६६-५०५ ५०६-५२६ ५२७-५७६ ५७७-६०८ For Private & Personal Use Only ६०६-६४० ६४१-६४७ ६५३-६७० ६७१-६५६ ६८७-७०६ नारायणस्मृति १. नारायणदुर्वाससोः सम्वादः : २७७० नारायण दुर्वासा का सम्वाद महापातक और उपपातकों का वर्णन प्रतिग्रहजनित पाप के प्रायश्चित्त का वर्णन २. बुद्धिकृताभ्यासकृतपापानां प्रायश्चित्तवर्णनम् : २७७४ बुद्धिकृत और अभ्यासकृत पापों के प्रायश्चित्त का वर्णन ३. नानाविधदुष्कृति निस्तारोपायवर्णनम् २७७५ नाना प्रकार के पापों के निस्तार का उपाय ७१०-७२१ १-६ ७- १५ १६-४१ १-७ १-१६ www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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