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सन्ध्या स्नान किए बिना विद्या पढ़ना हानिकारक है, सन्ध्या काल आने पर उसे छोड़ने वाले को पाप लगता है
सोपाधि एवं अनुपाधि भेद से आचार के दो भेद - सोपाधि गुणवान् और अनुपाधि मुख्य है
गायत्री मन्त्र की विशेषता
शौच का प्रकार
दन्तधावन और दतुवन के लिए वनस्पतियों का परिगणन
आचमन कर स्नान करने का प्रकार
सन्ध्यादि, तर्पण का विधान
जलस्नान का विधान
तर्पण की विशेषता
विश्वामित्रस्मृति
वस्त्रधारण में वस्त्रों के महत्त्व का वर्णन, प्राणायाम का प्रकार पूरक, कुम्भक और रेचक से सम्पूर्ण प्रकार के मलदोषों का नाश होकर शरीर की शुद्धि होती है और अध्यात्मबल बढ़ता है । तिलक धारण की विधि, पुण्ड्र धारण इसके बिना सब कर्म निष्फल
२. आचमनविधि : २६५७ मुख्य तीन प्रकार के आचमनों का वर्णन, पौराण, स्मार्त और आगम, इनके साथ श्रोत एवं मानस आचमनों का वर्णन मन्त्र जपने एवं नित्यकर्मों के आदि और अन्त में आचमन करे । भगवान् के २१ नामों के साथ न्यास विधान
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विधिवदाचमनस्यैवफल : २६५६
गोकर्ण की आकृति बनाकर अंगूठे और सबसे छोटी अङ्ग ुलि को छोड़कर अञ्जलि में जलग्रहण कर आचमन का विधान है इसी का फल है थूकने, सोने, ओढ़ने, अश्रुपात आदि से विघ्न होने पर आचमन करे या दक्षिण कान को तीन बार स्पर्श करे । भोजन के आदि में और अन्त में नित्य आचमन करे । मानसिक आचमन में भी केशवाय नमः माधवाय नमः और गोविन्दाय नमः मन में बोलकर चित्त शुद्धि करे
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