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________________ वृद्धगौतम स्मृति ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य किन-किन कर्मों से स्वर्ग जाते हैं उसका वर्णन युधिष्ठिर का प्रश्न- - शुभ कर्म और अशुभ की वृद्धि और नाश किस प्रकार होता है ? भगवान का शुभ कर्म और अशुभ कर्म के वृद्धि नाश का सविवरण प्रतिपादन ३. दानप्रकरणवर्णनम् : १६३१ युधिष्टिर के प्रश्न -- उत्तम, मध्यम और अधम दान क्या है ? किस दान से उत्तम, मध्यम और अधम की वृद्धि होती है भगवान् ने उत्तम, मध्यम और अधम प्रकार से दान देने का सविस्तार वर्णन किया ज्ञानी को दान देने की बहुत प्रशस्ति गाई है पापकर्म समाक्षिप्तं पतन्तं नरके नरम् । त्रायते दानमप्येकं पात्रभूतेकृते द्विजे ॥ ७६ ॥ बीजयोनि विशुद्धा ये श्रोत्रियाः संयतेन्द्रियाः । श्रुत्वान्नविरला नित्यन्ते पुनन्तीह दर्शनात् ॥ ८४ ॥ स्वयं नीत्वा विशेषेण दानन्तेषां गृहेष्वथ । निधापयेत्तुमभक्ता तद्दानं कोटिसम्मितम् ॥ ८५ ॥ ४. विप्राणां गुणदोषवर्णनम् : १६४० ब्राह्मणों के लक्षण और चारों वर्णों में ब्राह्मण किस प्रकार दूसरों के तारने वाले होते हैं । एतद्विषयक युधिष्ठिर का प्रश्न भगवान ने उत्तम मध्यम और अधम ब्राह्मणों के लक्षण बताये शीलमध्ययनं दानं शौच मार्दवमार्जवम् । तस्माद्वैवान् विशिष्टान्वं मनुराह प्रजापतिः ॥ २४ ॥ भूर्भुवः स्वरिति ब्रह्म यों वेद परमद्विजः । स्ववारनिरतो दान्तः स च विद्वान्सभूसुरः । सन्ध्यामुपासते विप्रा नित्यमेव द्विजोत्तमाः ॥ २५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only १२५ १५-२३ ३३ ३४-४० १-८ १०-८८ १-५ ७-५७ www.jainelibrary.org
SR No.002787
Book TitleSmruti Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagsharan Sinh
PublisherNag Prakashan Delhi
Publication Year1993
Total Pages636
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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