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मनुस्मृति
वर्णानां कर्मविधि वर्णनम् : १६६
ब्राह्मण क्षत्रिय दोनों की मिली-जुली शक्ति से राष्ट्रनिर्माण शूद्र को अपने कार्य से ही मोक्ष
१०. वर्णानां भेदान्तर विवेक वर्णनम् : २०० वर्ण भेदान्तरेण स्वनेकवर्ण वर्णनम : २०१
स्त्री-पुरुष के वर्णभेद से सन्तान की भिन्न-भिन्न जातियों का वर्णन अर्थात् अनुलोम सन्तान और प्रतिलोम सन्तान का वर्णन | अनुलोम और प्रतिलोम की वृत्ति का भी वर्णन
चतुर्वर्णानां वृत्ति वर्णनम् : २०६
चातुर्वण्यं के लिए अहिंसा, सत्य, अस्तेय, शौच, इन्द्रिय-निग्रह धर्म है बृति जीविक वर्णनम् : २०६
ब्राह्मणधर्म
जाति विभागानुसार कार्य
११. धर्मप्रतिरूपक वर्णनम् : २१३
यज्ञ होम सोम यज्ञ के सम्बन्ध में स्नातकों का सम्मान | प्रायश्चित्तों का यज्ञ के लिए धन एकत्र कर यज्ञ में न लगाने वाले की काक योनि इत्यादि में गति
darfe धनं हरतोति फलम् : २१५
यज्ञ का वर्णन, यज्ञ की दक्षिणा
जानकर पाप करने वाले का प्रायश्चित
स्तेयफल वर्णनम् : २१७
चोरी करने वाले को पृथक्-पृथक् पदार्थ के चोरी करने से शरीर में चिह्न होते हैं जैसे सुवर्ण चोर का दूसरे जन्म में कुनखी होना इत्यादि
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प्रायश्चिस वर्णनम् - अगम्यागमन वर्णन : २१८
महापाप आदि का प्रायश्चित्त बालघाती, कृतघ्न शुद्ध नहीं होता
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