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वशिष्ठ स्मृति
२७. वेदाध्ययनप्रशंसा तथा आहारशुद्धिनिरूपण : १५३६ वेदरूपी अग्नि से पाप राशि नष्ट होती है इत्यादि का वर्णन तथा वेद पढ़ने की प्रशंसा एवं आहार शुद्धि का वर्णन बताया है १-२१ २८. स्वयंविप्रतिपन्नादीनां दूषितस्त्रीणांत्यागाभावकथनम् : १५३८ बलात्कार से उपभुक्त स्त्री त्याज्य नहीं होती है यथा
स्वयं विप्रतिपन्ना वा यदिवा विप्रवासिता । बलात्कारोपभुक्ता वा चोरहस्तगताऽपिवा ॥
न स्याज्या दूषितानारो नास्यास्त्यागो विधीयते । पुष्पकालमुपासीत ऋतुकालेन शुध्यति ॥
स्त्री का त्याग ( तलाक) करना स्मृति विरुद्ध है । शतरुद्रिय, अथर्वशिर, त्रिसुपर्ण, गोसूक्त और अश्वसूक्त के पाठ करने से पापों से मुक्त हो जाता है ।
२६. दामादीनां फलनिरूपणवर्णनम्
गोदान, छत्रदान, भूमिदान, पादुका दान, विविध प्रकार के दान तथा मौन व्रत का माहात्म्य
३०. प्राणाग्निहोत्रविधि : १५४२
ब्राह्मण भोजन कराने का माहात्म्य तथा प्राणाग्निहोत्र विधि का वर्णन किया है।
श्रौशनस संहिता
अनुलोमप्रतिलोमजात्यन्तराणांनिरूपणवर्णनम् : १५४४ अनुलोम विवाह की सन्तान तथा प्रतिलोम सन्तान की जातियों का वर्णन । सूत, वेणुक, मगध, चाण्डाल आदि जाति और इन के लोम विलोम जाति का विस्तार तथा उनकी वृत्ति एवं कार्य का वर्णन आया है
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