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औशनस स्मृति प्रौशनस स्मृति १. ब्रह्मचारिणांक्रमागतकर्तव्यवर्णनम् : १५४९ इस अध्याय में शौनकादि ऋषियों ने भार्गव को विनम्र भाव से
प्रणाम कर धर्मशास्त्र का निर्णय पूछा। उत्तर में औशनस ने सांस्कृतिक जीवन का स्तर विधिवत् उपनयन वेदाध्ययन से प्रारम्भ कर मनुष्य के आचरण का चित्रण वैज्ञानिक भित्ति पर किया जिस प्रकार के संस्कृत जीवन से मनुष्यता का सच्चा विकास हो जाए
१-६४ २. ब्रह्मचारिप्रकरण शौचाचारवर्णनम् : १५५६ किस किस समय आचमन कर शुद्ध होना चाहिए यहां से प्रारम्भ
कर ब्रह्मचारी के सम्पूर्ण कर्म शौचाचार ब्रह्मचारी की शिक्षा पद्धति का सुचारु निरूपण किया है।
३. ब्रह्मचारिप्रकरणे शौचाचारवर्णनम् विद्या पढ़ने की विधि, गुरु के प्रति व्यवहार, ब्रह्मचारी के धर्म,
वेदाध्ययन की आवश्यकता स्वाध्यायी ब्रह्मगति को प्राप्त करता है। भोजन की विधि, पञ्च प्राणाहुति की विधि, प्रातः कृत्य का विधान, पिण्ड दान का माहात्म्य बताया है। अमावास्या अष्टका आदि श्राद्धकाल, पात्र ब्राह्मणश्राद्ध काल, अस्थि संचयन, गया श्राद्ध माहात्म्य किस अन्न से पितरों की कितने काल तक तृप्ति होती है । श्राद्ध में किस किस अन्न को वजित किया है। पिण्डोदक नवश्राद्ध आदि का विस्तृत वर्णन किया है
१-१४७ ४. श्राद्धप्रकरणवर्णनम् : १५७४ श्राद्ध में कैसे ब्राह्मणों को आमन्त्रण करना तथा उनके लक्षण । मूर्ख
ब्राह्मणों को भोजन कराने पर पितरों का पतन आदि का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है
५. श्राद्धप्रकरणवर्णनम् : १५७८ पिण्डदान विधि और उसके मन्त्र विस्तार से बताए गए हैं
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