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प्रस्तावना
१९
सामो आवे एवी चेलेन्ज राजा समक्ष आपी, जेथी भविष्य प्रकाशमां आवे छे. अत्यार सुधी भविष्यने कोई भविष्य तरीके ओळखतुं नहोतुं. ए हवे स्पष्ट थाय छे. बंधुदत्तना साथीओ अथ थी इति सुधी तमाम हकीकत राजाने कहे छे. राजा धनपतिने तथा बंधुदत्तने केद करे छे (संधि १०).
जयलक्ष्मी अने चंद्रलेखा भविष्यानुरूपाना पातिव्रत्यनी परीक्षा करे छे भविष्य अने भविष्यानुरूपा परणे छे. बधाने मुक्ति आपवामां आवे छे. धनपति नवदंपतीने तथा कमलाने पोताना घेर लई जाय छे (संधि ११).
राजा-राणी आ नवदंपतीने एटला बधा चाहे छे के राजा भविष्यने युवराज जेटलो ज प्रेमपात्र गणे छे अने पोतानी राजकुंवरी सुमित्राने भविष्य जोडे परणावे छे. धनपति पोताना पूर्वकृत्य गाटे पश्चात्तापनी जरा पण लागणी बतावतो नथी तेथी कमला खिन्न थई तेनुं घर छोडी पोताने पीयर जाय छे अने भविष्यानुरूपा पण तेनी जोडे ज जाय छे. कांचनमालाना उपालंभथी धनपतिनी सान ठेकाणे आवे छे अने कमला पासे जई तेनी माफी मागी तेने पोताने घेर लई आवे छे (संवि १२)..
सिंधु देशमां आवेल पोतनपुरनो राजा, चित्रांगने मोकली, खंडणी आपवानुं तेमज भविष्य जे कन्याने लावेल छे ते तथा राजानी पोतानी पुत्री सुमित्राने सोंपवान हस्तिनापुरना राजाने कहेवडावे छे. भविष्य, प्रियसुंदरी, पृथुमती अने अन्य सचिवोनी एक सभा राजा बोलावे छे लोहजंघ नामनो एक मंत्री चित्रांगने गधेडा उपर बेसाडी फेरववानुं सूचन करे छे. धनपति, अनंतपाळ वगेरे पोतपोतानी सलाह आपे छे. भविष्य पण पोतानी सलाह आपे छे अनंतपाळ के जे लढाईनी तरफेणमा न हतो अने भविष्य के जेणे लडाई करवानो विचार दर्शाव्यो हतो ते बे वच्चे चकमक झरे छे. अनंतपाळ चित्रांगने मळे छे अने हल्लो करवान कहे छे. पण चित्रांग भूपाल पासे छेल्लो जवाब लेवा जाय छे अने पोतानी राजकुंवरी सुमित्राने सिन्धुपति मृगेन्द्रकंधरने आपवानी सलाह आपे छे. आ सांभळी भविष्यने खूब क्रोध चडे छे अने चित्रांगना जीभ तथा आंख फोडी नाखवान कहे छे. धनपति वच्चे पडे छे (संधि १३).
पहेलां तो कच्छना विश्वासघाती राजा उपर हुमलो करवानुं भविष्य भूपाल राजाने सूचवे छे. आवी वात हवामां आवतां कच्छनो राजा शरणे आवे छे. भूपाल राजानी मददमां हरिपति, लोहजंघ, कच्छाधिप, पांचाल, अने पर्वतपति आवे छे. पोतनपुरनो राजा संधिनुं कहेण मोकले छे. पण लश्कर घj आगळ वधी गयु हतुं तेथी संधि करवानुं अशक्य हतुं. लडाईमां कच्छाधिपति पराजय पामे छे अने युद्धनी बाजी पोतनपुरना स्वामीनी तरफेणमां आवती जाय छे. युद्धने मोखरे भविष्यदत्तने मोकलवामां आवे छे. पराजयना घणा चिन्हो देखाय छे छतां छेवटे तो पोतनपुरना राजपुत्र अने भविष्य बच्चेना द्वंद्वयुद्धमां भविष्य जीते छे अने पोतनपुरना राजपुत्रने जीवतो पकडी ले छे (संधि १४).
भविष्यने युवराज बनाववामां आवे छे, अने राजपुत्री सुमित्राने तेनी साथे परणाववामां आवे छे. भविष्यानुरूपाने तिलकद्वीप जवानी इच्छा थाय छे. बराबर आ वखते देवता राजमहेलमां हाजर थाय छे. तेनुं नाम मणवेय ( मनोवेग) छे. ते कहे छे के तेना मालिके तेने भविष्यानुरूपानी इच्छा पार पाडवा मोकल्यो छे (संधि १५).
तिलकद्वीपमा जई ने भविष्य तथा भविष्यानुरूपा जिनालयमां पूजा करे छे. त्यां तेमने बन्नेने जयनंदन अने अभिनंदन नामना बे साधुओ मळे छे. जीवदया, सत्यवचन, अदत्तादान, ब्रह्मचर्य अने अपरिग्रह ए पांच अणुव्रत वगेरे बाबतो साधुओ समजावे छे. जिनवंदन, पोसहोववास, दाराविक्खणु, अने सल्लेहणा ए चार शिक्षापदो पण बतावे छे ( संधि १६).
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