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नाणपंचमीकहाओ
भविष्यदत्त तिलकद्वीप उपर रही गयो. जिनमंदिरवाळा एक उजड गाममां ते आवी पहोच्यो
( संधि ४ ).
भविष्यदत्त ते मंदिरमां सूतो छे. अच्युत स्वर्गना धणीना कहेवाथी जे धनमित्रे जैनधर्मनो अंगीकार कर्यो हतो तेनी शुं स्थिति छे ते बाबत मुनि यशोधरने अच्युत नामे स्वर्गना धणिए पूछी. यशोधरे धनपतिनी बधी हकीकत कही संभळावी. जाग्या पछी भविष्यदत्ते दिवाल उपर कांईक लखेलुं वांच्यं अने कांईक सांभल्युं. तेने अनुसरी ते पूर्वमां पांचमा घर भणी चाली नीकल्यो. त्यां एक छोकरी बैठेली दीठी. तेने ते परण्यो ( संधि ५ ).
१८
सुव्रता नामनी एक साध्वी कमलश्रीने श्रुतपंचमीनुं व्रत ग्रहण करवा कहे छे. ते साध्वी कमलश्रीने पोताना गुरु पासे लई जाय छे अने कमलश्री दुःख परंपरानुं कारण पुछे छे. भविष्यदत्त अने तेनी पत्नी खदेश पाछा फरवा निश्चय करे छे ज्यारे फरीने बंधुदत्तनो तेमने भेटो थाय छे. बंधुदत्त पोते करेल विश्वासघात माटे भविष्यदत्तनी माफी मागे छे अने बधा स्वदेश जवानो विचार करे छे ( संधि ६ ).
भविष्यदत्त धार्मिक प्रवृत्तिमां रोकायो छे ते वखते बंधुदत्त वहाणो हंकारवानी आज्ञा आपे छे. भविष्यदत्तने एकलो मुकी बधा चाली निकळ्या रस्तामां बंधुदत्त भविष्यदत्तनी स्त्री पासे प्रेमयाचना करे छे अने ज्यारे ते तेनी पासे बलात्कार करवा जाय छे त्यारे बराबर प्रतिकूळ पवनना झपाटाथी वहाण विरुद्ध दिशामा चाल्या जाय छे. वेपारीओ तो भविष्यदत्तनी स्त्रीनी छेडतीनुं आ परिणाम छे एम समजे छे अने तेनुं मन मनावा कहे छे अने तेम करवाथी बधुं अनुकूल थई जाय छे. बधा हस्तिनापुर नजीक पहोची जाय छे (संधि ७ ).
हस्तिनापुरमां बंधुदत्तना आववाथी सौ खुशखुशाल थई जाय छे. आ वातनी खबर हरिदत्त ( हरिबळ ) कमलश्री (कमला) ने पण आपे छे. कमलश्री भविष्यदत्तना खबर मेळावा घरे घरे भटके छे, पण कोई कशा समाचार नथी आपतुं. सरूपाने काने गामगपाटा पहोचे छे अने तेथी भविष्यदत्त मन आव्यो ए बाबत बंधुदत्तने पूछे छे. बंधुदत्त जवाब आपे छे के एनुं मन कदाच दोलत विना अहिं आववानुं हि होय जेथी ए ते द्वीपमां रोकायो हशे सुव्रता पोताना गुरुदेवने भविष्यना पुनरागमन माटे पूछे छे, त्यारे तेओ कहे छे के आजथी त्रीसमे दिवसे एटले के वैशाख मासनी पंचमीए ए अहीं पहोचशे, राजा थशे अने कमलश्री राजमाता तरीके ओळखाशे. धनपति पोताना पुत्र बंधुदत्तना लग्न परदेशमांथी लावेली कन्या ( भविष्यदत्तनी पत्नी ) साथे विधिपूर्वक करवा विचारे छे. भविष्यानुरूपा ( भविष्यनी पत्नीनुं नाम ) मुश्केली अनुभवे छे ( संधि ८).
आ बाजु मणिभद्र यक्ष भविष्य पासे आवे छे अने पत्नी वगेरेना क्षेमकुशळ पूछे छे. ते बधी हकीकत तेने जगावे छे. विमान मगावी ते यक्ष बराबर वैशाखी पंचमीए तेने गजपुर लई जाय छे. कमला (कमलश्री ) ने खूब खूब आनंद थाय छे. बंधुदत्तना लग्न प्रसंग उपर जवा माठे कमला भविष्यने पूछे छे. बंधुदत्ते लावेल कन्यानी तमाम हकीकत भविष्य पोतानी माताने कहे छे. अने घरेणा पहेरी लग्नप्रसंग उपर जवानी पोतानी संमति पण आप छे. साथे साथे ते कन्याने आपवा वास्ते भविष्य पोतानी माताने नाममुद्रा पण आपे छे जे कमला कोईपण रीते भविष्यानुरूपाने पहोचाडे छे (संधि ९ ).
भविष्य त्यारबाद राजा पासे जाय छे; अने घणी घणी भेटो आपे छे. धनपति पोताना पुत्र बंधुदत्तना जे कन्या साथे लग्न करी रहेल छे ते वांधार्या छे एवं जाहेर करतां राजा शेठने बोलावे छे. बंधुदत्त अने तेना पचास व्यापारी साथीओ तेम ज धनपति वगेरे राजसभामां आव्या अने बंधुदत्ते दुश्मन
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