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पं० १७८-१९८]
विईय संधि
॥ घत्ता॥ खणु एक्कु विलंविवि "सत्थवाहुं विहसन्त-मुहुँ ॥ अह संखिं पुच्छिउ "कहहि वत्त किं आउ तुहुँ[26] ॥ १७८
[१६] तयणंतरि वोल्लइ सत्थवाहु "सुणि संख कन्जु परिभवाहु(2) ॥ ७९ 5 गुणरयण-महोवहि मज्झु पुत्तु नव-जोवण-कल-विन्नाण-जुत्तु ॥ १८० निय धूय तासु पउमसिरि देहि । अब्भत्थिउ सुपुरिसु एउ गेहि" ॥ ८१ आपुच्छिउ परियणु सुहि कलत्तं वंधवह असेसह कहइ वत्त ॥८२ सत्थाह-सुयह संगेण दिन्न प्राणहँ वि' इट्ट पउमसिरि-कन्न ॥ ८३ दोहिँ वि आणंदिय माणसेहि पुच्छिज्जइ लहु जोइसिउ तेहि ॥ ८४० चउवेय-वियक्खणु निधियारु जो जो[इ]स-सत्थहँ गयउ पार ॥ ८५ गणिऊण प[27]यत्तिं" गुण-समग्गु जोइसिउ कहहँ"फुडु ताह लग्गु ॥ ८६ "पंचमि तिहि सोहणु गुरुहु वारु नक्षत्तु हत्थु सिवु जोग्गु सारु ॥ ८७ अइसुंदर वालहि पिय-करण सोहग्ग-रिद्धि-सुह-सोक्ख-करणु॥ ८८
। घत्ता ॥ सोहग्गइ संजुत्तु दोस असेस निरंभइ। एवंविह संठिउ
अन्नु लग्गु न वि लब्भई" ॥ ८९
[१७] संपुजिउ दोहिँ वि जण[हिँ भ? आसीस देवि निय-घरि" पयह ॥१९० धवलिज्जाहँ तुंग मंदिराइँ
विरइजहि चित्तइँ उज्जलाइँ॥ ९१ 29 [27 विरइज्जहिं सत्थिय विविह-वन्न वहु जाइफलाइँ xxxx-~॥ ९२ वट्टिजहिँ कुंकुम-चंदणा कप्पूर-तेल्ल-गंधुक्कडाइँ ॥ ९३ आणिज्जहिँ वत्थ-विभूसणा" किज्जति विविह कोऊहलाई ॥ ९४ उवणिजहि खज[य]-पेजयाइँ सुहि-सयणहँ जति निमंतयाइँ ॥ ९५ निम्मिउ वर-मंडवु अइमहंतु ___ कोमल-तरु-पल्लव-माल-वंतु ॥ ९६ 25 कय कंचण-कलसहि रम्मएहित जा दिट्ठ-दिट्ट सुहि-सज्जणेहि ॥ ९७ देवंगुल्लोय मणाभिराम
झुल्ल त हार मणि-कुसुम-दाम ॥१९८ 1 विलंघबि. 2 सत्तावाहु. 3 मुहुं. 4 संखी. 5 अभथीउ. 6 कलत्तु. 7 वि इह. 8 °सस्थहि. 9 गणिउण. 10 पयत्ती. 11 कहइ. 12 °करj. One mora too few. 13 संजुतं. The odd padas are unequal. 14 अंगु. 15 भट्ट. 16 आसिस. 17 परि. 18 जाइफालाई. 19 Seven moras wanting. 20 वट्टीजइ. 21 गंधू. 22 विभुयणाई. 23 कोउहलाइ. 24 उवगिजाहि. 25 यंतु. 26 रम्मवेहिं. 27 देवंगोलोय.
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