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पउमसिरि चरिउ
[पं० १५६-१७७ ॥ घत्ता ॥ तुहु अज वि सुंदर पाणिग्गहणुं न किजई। ससिलेहा-नंदf
केम्व ऍत्थु आणिजइ ॥ १५६
[१४] परिवालहि वासर कइ वि मुद्धि तुहुँ उत्तिम-कुलि निम्मलि विसुद्धि ॥ ५७ पइँ सइँ जि वरेसइ सो कुमार को मुयइ महामणि-रयण-हारु ॥ ५८ सच्चविय जेण तुहुँ तरल-नयणि न विलग्गइ अन्न तसु चित्त-भवणि"॥५९ सहि-वयाणं ति हिम-सीयलेण आसासि [य] चंदण-रस-जलेण ॥ १६०
अवहियमणि कन्न मुहत्तं देह(१) वट्टइ कुमरह वि अवत्थ एह ॥ ६१ " पिय[25A] नहि य दितिं चकवाई झूरइ ससि-किरणालिद्ध नाइँ॥ ६२ वासर-ससि व विच्छाइ मुत्ति गय हिय हरेविणु संख-पुत्ति ॥ ६३ न परिक्खइ कंचण-रयण-हार विदुम-कंकेयण-मणि-मसार ॥ ६४ "तहि दिट्ठ महावणि जा कुमारि सा अम्हहँ मित्त अगाल-मारि” ॥ ६५ दीउन्ह मुयइ नीसास केव घण-सलिल-सित्तु गिरि गिम्हि जेव ६६
॥ घत्ता ॥ हरियंदणु चंदु जल? [25 तासु निरारिउ तणु [तवइ.। सों कुमरु ताहि वर-वालहि अंग-संगु परिचिंतवइ ॥ ६७
[१५] दुबल-सरीरु पेक्खेवि"पुत्तुं पुच्छइ सत्थाहु कुमार-मित्तु ॥ ६८ 20 "कहि वच्छ पियंकर कणय-गोरि" किं वाहंई तुहु मित्तहुँ सरीरि" ॥ ६९
“सुणि ताय तुज्झं सुउ कुसुमवंतु कीलणह पत्तुं निभैरु वसंतु ॥ १७० लच्छी व सकोमल-कमल-हत्थ मइरी इव मण 26.-मोहण-समत्थ ७१ लावन्न-तुलिय-तियसिंद-नारि सुय संखह नव-जोवण कुमारि ॥ ७२
सच्चविय कुमार वणि वइट्ट सा काम-हल्लि जिह मणि पइट्ठ" ।।७३ 5 सत्थाहिं वुत्तुं समुद्ददत्तुं
“सा वाल होइ जिह तुहु कलत्तु ॥७४ तिह करमि वच्छ उज्झहि विसाउ" गउ संख-भवणि उद्धयफाउ(?)॥ ७५ तंवोल-पमुहुँ गेहोवयारु
किउ संखिं तासु वहुय-पयारु ॥७६ सायरु पडिपुच्छिउ कुसल-वत्त "हउँ धन्नु जासु घरि तुझि पत्त”॥१७७
1 तुटू. 2 पाणींगहणु. 3 कीजइ. 4 नंदj. 5 °हार. 6 °नयण. 7 चिन्निभवीणि. वि in the line is metrically redundant. 8 °वयणी. 9 महुत. 10 चरूब. 11 हियं. 12 दिउन्ह. 13 सललिसितु गिरि गिन्हु. 14 जलदी. 15 अंगिं. 16 दुयल. 17 पेखेवि. 18 तु. 19 सत्थदु. 20 कुमारुमितु. 21 कणयरोरे. 22 पाहइ. 23 मित्तदु. 24 तुझ. 25 सुक्कुसुमवंतु. 26 पतु. 27 निभरु. 28 वि. 29 मयरा. 30 मणि. 31 °जोवण. 32 सस्थाहि. 33 वुकु. 34 समुदतु. 35 तुदु. 36 डज्सहि. 37 पमुह. 38 संखी. 39 यदुपरंपारु.
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