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पउमसिरि चरिउ
- [पं० ९५ - ११५ पउमसिरि निएविणे सुटु रु?(47A) चिंतवइ एउ पविट्ठ दुइ ॥ ९५ “अवहरमि हारु अवयरमि मोरि जिं एह अज्ज जणु भणइ चोरि" ॥ ९६
॥ घत्ता ॥ वंतर-सुर-मायाहिडिउ चित्त-सिहंडि समुट्ठियां । नच्चेइ कलाव-मणोहरु झत्ति महीयलि' संठियउ ॥ ९७
[९] भिन्निंदणील-मणि-साम-कंठि सिरि फुरिय चंद नं नीलकंठि ॥ ९८ विहुणिय-पिंछावलि ललिय-छाउ तं नियवि रुइर-दीहर-कलाउ ॥ ९९ विप्फुरिय-तरल-मणि-किरण-फारु सबो वि तेण सो गिलिउ हारु ॥ १०० " लहु उड्डेवि संठिउ तम्मि ठाइ पउमसिरिहि मणि विम्हिउ न माइ॥ १
अइ-गरुय-चोजु कहणुं न जाई कहि[47]जंतउँ को वि न सदहाइ ॥२ कंतिमइ भरिउ लड्डुयहँ थालु निग्गय घर-मज्झहु निरु विसालु ॥ ३ गुरु-भत्ति जुत्त सबे वि देई" पउमसिरि अज्ज कइ य वि गहेइ॥४ वंदेवि विसज्जिय गय विहार महरियहि कहिउ जिह गिलिउ हारु ॥ ५ Is सा जंपइ “काँइ वंतर करालु तुहु देवउँ" इच्छइ अलिउ आलु"॥ ६
कंतिमई न पेक्खइ हारु जाम्व निय-चित्ति वियप्पइ एउ ताम्व ॥ ७ "किं केण वि थवियउ पूकरेण(?) सहस त्ति हरिउ किं तक्करेण ॥ ८ सावज्ज-जोग-परिवजियाएँ अवहरिउ हारु किं अज्जियाऍ"[48A] ॥९
॥ घत्ता ॥ कंतिमई वाल हक्कारिवि आउच्छइ परिय" सयलु । "इह मुक्कु हारु न वि दीसइ कंति-करंविय-ग[य]णयलु" ॥ ११०
[१०] परिपुच्छइ परियणु संलवेइ "इह सामिणि अन्नु न को विएई॥११
अवहरिउ हारु फुडु अज्जियाएँ दक्खिन्न-लज-भय-वज्जियाएँ" ॥ १२ 25 सहस त्ति मिलिय दुजणु अभद्दु वित्थरिउँ नयरि तहि चोरि-सद्दु ॥१३
घोसिज्जइ घरि घरि निबियारु "अजिई कंतिम इहि हरिउ हारु”॥१४ विहरंत नियवि पउमसिरि अज्ज “सा एह चोरि" जंपहिँ अणज्ज ॥ ११५
1 निएविj. 2 जणुं. 3 वंतरु. 4 सुरु. 5 चित्तयह डि. 6 समुडियउ. 7 महियलि. 8 दिहर. 9 माई. 10 कहणुं. 11 जाई. One mora too few. 12 ल दुयहं. 13 देई. 14 विहारि. 15 देवंउं. 16 कंत्तेमइ. 17 कंतिनइ. 18 परिय'. 19 करंबिउ. 20 सामिणिं. 21 इए. 22 अजियाउ. 23 वजियाइ.. 24 हुजणु, 25 अभव्वु. 26 विच्छरिउ. 27 भजिय,
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