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2. मन्दिर - स्थापत्य का विकास : ऐतिहासिक दृष्टि
स्थापत्य के रूप में मन्दिरों का निर्माण कदाचित् उत्तर भारत में सर्वप्रथम हुआ। साहित्य में अनेक प्राचीन ( ईसवी पूर्व 600 से भी पहले के) मन्दिरों के उल्लेख मिले हैं। मथुरा, काम्पिल्य आदि में पार्श्वनाथ, महावीर आदि के मन्दिर निर्मित हुए थे, ऐसा अनुमान कतिपय साहित्यिक उल्लेखों से होता है । महावीर से सौ वर्ष पूर्व मथुरा के कंकाली टीले पर किसी कुबेरा देवी ने पार्श्वनाथ का मन्दिर बनवाया था। यह पहले सोने का था, बाद में प्रस्तर - खण्डों और ईंटों से आवेष्टित कर दिया गया।
(अ) मौर्य - शुंग - काल
मौर्य और शुंग काल की मुद्राओं आदि से प्रबल प्रमाण मिलते हैं कि उस समय मन्दिरों का निर्माण बड़ी संख्या में होता था । इनमें बौद्ध-मन्दिर जिनपर चैत्यवृक्ष अंकित होता था, बहुत कम होते थे और जैन तथा वैदिक अपेक्षाकृत अधिक । इस समय के मन्दिरों के साथ वाटिका का निर्माण भी होता था । मन्दिर का निर्माण एक ऊँचे अधिष्ठान पर निर्मित स्तम्भों पर आधारित छत बनाकर होता था । छत प्रायः गोलाकार होती थी । गोल आकार क्रमशः अण्डाकार में परिणत होता गया । छत के आकार का यह परिवर्तन तत्कालीन शैल-गृहों में भी परिलक्षित होता है । बराबर की लोमश ऋषि की गुफा और उदयगिरि (उड़ीसा) की हाथीगुम्फा तथा उड़ीसा की अनेक गुफाओं की छतें अण्डाकार ही हैं। चित्तौड़ के पास बड़ली तथा मध्यमिका
1. जिनप्रभसूरि : विविधतीर्थकल्प : मथुरापुरीकल्प, 9-17।
2. वही ।
3. (अ) वही । (व) प्रो. कृष्णदत्त वाजपेयी भारतीय पुरातत्त्व में तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ : अहिंसावाणी (वर्ष 13 अंक 8-9, अगस्त-सितम्बर, 1963), पृ. 287 | ( स ) ज्योतिप्रसाद जैन : जैन साहित्य
में मथुरा : अनेकान्त, वर्ष 15, किरण 2, पृ. 65-671
4. दे. -- (अ) हेनरिच ज़िम्मर : दी आर्ट ऑफ इण्डियन एशिया, जिल्द 1 (न्यूयार्क, 1954),
पृ. 247 तथा आकृति ए 3 वी (ब) बेंजामिन रालेण्ड : दी आर्ट एण्ड आर्चीटेक्चर ऑफ इण्डिया बुद्धिस्ट हिन्दू जैन ( विक्टोरिया, 1959 ) पृ. 38 तथा फलक 7, आकृति व । (स) विसेण्ट ए स्मिथ : ए हिस्ट्री ऑफ फाइन आर्ट इन इण्डिया एण्ड सीलोन, फलक 8, आकृति ब । (द) दी एज ऑफ इम्पीरियल कन्नौज (बम्बई, 1960), फलक 7, आकृति 13 |
5. दे. - (अ) हेनरिच ज़िम्मर वही, फलक 58, आकृति व । (व) लुइस फ्रेडरिक : इण्डियन टेम्पल्स ऐण्ड स्कल्पचर दे. - ( लन्दन, 1959), पृ. 57 तथा आकृति 50 |
6. दे. - (अ) हेनरिच ज़िम्मर : वही, फलक 46, 52, 56 57 तथा 58 (व) लुइस फ्रेडरिक : वही, पृ. 57, आकृति 52, 53 आदि। (स) विंसेण्ट ए. स्मिथ : वही, फलक 24 ।
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स्थापत्य :: 93
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