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में है। वह बहुत अस्पष्ट हो गया है। प्रारम्भ के कुछ अक्षरों के अतिरिक्त कुछ भी पढ़ने में नहीं आता।
(2) राजघाटी-देवगढ़ दुर्ग की दक्षिणी अधित्यका पर पश्चिमी ओर भी (पूर्व की ही भाँति) बेतवा के प्रवाह तक पहुँचने के लिए एक सोपान मार्ग है। इसे राजघाटी कहते हैं। यहाँ की सीढ़ियाँ नाहरघाटी की अपेक्षा अधिक चौड़ी और अच्छी स्थिति
इस घाटी में प्रागैतिहासिक चित्र, ऐतिहासिक महत्त्व के अभिलेख तथा अनेक मूर्तियाँ चट्टानों पर उत्कीर्ण हैं।
यहाँ पर्वत को काटकर तैयार की गयी एक महत्त्वपूर्ण गुफा है। इसके प्रवेश-द्वार की ऊँचाई चार फुट साढ़े ग्यारह इंच, चौड़ाई निचले भाग में दो फुट पाँच इंच तथा मध्य भाग से ऊपर तीन फुट छः इंच है।
यह गुफा पाँच फुट दस इंच लम्बी, चार फुट ग्यारह इंच चौड़ी तथा इतनी ही ऊँची है। इसके प्रवेश-द्वार के बायें पक्ष पर दो अभिलेख उत्कीर्ण हैं। पहला तीन पंक्तियों में है, जिसे संवत् 1121 में चैत्र सुदी 15 गुरुवार को उत्कीर्ण कराया गया था। इससे दो इंच ऊपर छह पंक्तियों का दूसरा अभिलेख उत्कीर्ण है। उसमें फाल्गुन सुदी 10 चन्द्रवार संवत् 1549 का उल्लेख हुआ है। इसकी अन्तिम साढ़े तीन पंक्तियाँ अब इतनी अस्पष्ट और टूटी हुई हैं कि पढ़ने में नहीं आतीं।
गुफा की भीतरी बायीं भित्ति पर सिन्दूरी रंग से एक गतिशील हाथी का चित्र अंकित है। उस पर बैठा महावत हाथ में अंकुश लिये है। हाथी का पलान तथा सीमा रेखाएँ काले रंग से चित्रित हैं। उसके ऊपर एक चौखटे में लहरियादार रेखाएँ बनी हुई हैं। इसी के बीच में दो रेखाकृतियाँ और भी दिखाई गयी हैं।
इसके दायीं ओर एक टेढ़ा-मेढ़ा चौखटा और उभारा गया है, जिसकी मध्यवर्ती रेखाकृतियाँ अब अस्पष्ट हो गयी हैं। उसके बाजू में किसी पक्षी-कदाचित् मुर्गे का रेखाचित्र बना हुआ है। इसी से सटे हुए एक अन्य चौखटे में लहरियादार रेखाएँ दर्शायी गयी हैं।
सामने की भित्ति पर सिन्दूरी रंग में कुछ चित्र अंकित हैं। वे अब बहुत अधिक अस्पष्ट हो गये हैं। उनके ऊपर गहरे सिन्दूरी रंग में एक वक्र चतुष्कोण रेखाकृति है।
प्रायः ऐसी ही तीन रेखाकृतियाँ दायीं भित्ति पर भी चित्रित हैं।
इसी गुफा के बगल में वह महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक अभिलेख उत्कीर्ण है जिसे संवत् 1154 (1097 ई.) में चन्देलवंशी शासक कीर्तिवर्मन के मन्त्री वत्सराज ने उत्कीर्ण कराया था और जिसके नाम पर इस स्थान की प्रसिद्धि कीर्तिगिरि नाम से हुई।
1. अभिलेख के लिए दे.-परिशिष्ट दो. अभिलेख क्र. दो।
स्मारक :: 85
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