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आचार्य परमप्टी का अंकन अत्यन्त प्रभावोत्पादक है (दोनों स्तम्भों पर)। उनके पादपीट में पीछी और कमण्डलु भी दर्शाये गये हैं। उपदेश श्रवण करते हुए साधुओं
ओर आर्यिकाओं का अंकन वायीं ओर के स्तम्भ पर अत्यन्त आकर्षक है। दोनों स्तम्भों पर शेष तीनों ओर पद्मासन में तीर्थंकर मूर्तियों का नयनाभिराम अंकन है।
मन्दिर संख्या 20 के सामने स्थित गोलाकार मानस्तम्भ स्तम्भ संख्या 17
माप सतह से चोकी की ऊंचाई 2 फट 2 इंच चौकी से स्तम्भ की ऊंचाई 9 फुट 9 इंच स्तम्भ की परिधि 5 फुट 3 इंच विवरण
यह अत्यन्त भव्य और कलापूर्ण स्तम्भ' गुप्तयुगीन सूक्ष्म कला का स्मरण कराता है। इसमें एक सुसज्जित हर्म्य का दृश्य उत्कीर्ण है। कीर्तिमुखों और मालाओं का अत्यन्त सूक्ष्मता से अंकन हुआ है। चौकी से 5 फुट 2 इंच की ऊँचाई पर स्तम्भ पर चतुर्दिक् देवकुलिकाओं में सर्वतोभद्र-मूर्तियाँ पद्मासन में उत्कीर्ण हैं। ये देवकलिकाएं ऊपर की ओर शिखर का रूप धारण करती हैं।
यहाँ उपलब्ध मानस्तम्भों में से एकमात्र यही गोलाकार है। सम्पूर्ण अंकन अत्यन्त सूक्ष्म तथा रमणीय बन पड़ा है।
मन्दिर संख्या 26 व 27 के मध्य में स्थित स्तम्भ स्तम्भ संख्या 18
माप
सतह से स्तम्भ की ऊंचाई 4 फुट ५ इंच स्तम्भ 16 पहलू। विवरण
इस स्तम्भ के निचले हिस्से में उत्कीर्ण देव-कुलिकाओं में धरणेन्द्र-पद्मावती, अम्बिका आदि शासन देव-देवियों का अंकन है। इसके ऊपर पद्मावती तथा वल्लरियों
1. दे.--चित्र संख्या ।।
स्मारक :: 79
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