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इसके अधोभाग में कीर्तिमुख उत्कीर्ण किये गये हैं तथा मध्य में कीर्तिमुखों से शृंखलायुक्त घण्टिकाएं सुन्दरता से लटकती हुई दिखाई गयी हैं।
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इसके ऊपर चतुर्दिक् चार देवकुलिकाओं में से उत्तर में आचार्य अपने एक हाथ में ताड़पत्रीय ग्रन्थ लिये हुए तथा दूसरा उपदेश मुद्रा में किये हुए अंकित हैं। जीव रक्षा और शुद्धि के साधन पीछी और कमण्डलु भी उपस्थित दिखाये गये हैं दक्षिण में वृषभनाथ, पूर्व में सप्तफणावलि सहित पार्श्वनाथ और पश्चिम में अजितनाथ का अंकन बहुत सुन्दर बन पड़ा है। सभी मूर्तियाँ पद्मासन में हैं और उनके नीचे एक - एक पंक्ति के अभिलेख हैं । इस स्तम्भ पर संवत् 1108 अंकित है, यह इस स्तम्भ के निर्माण का समय प्रतीत होता है ।
मन्दिर संख्या 5 के पश्चिम में बायीं ओर स्थित स्तम्भ
स्तम्भ संख्या 6
माप
सतह से स्तम्भ की ऊँचाई 4 फुट 5 इंच स्तम्भ समचतुष्कोण 1 फुट
विवरण
यह स्तम्भ किसी समाधि - स्मारक का शेष अंश है। वर्तमान में यह मं. सं. 5 के पश्चिम में अधिष्ठान के बायीं ओर जमीन में गड़ा हुआ है ।
इसमें चतुर्दिक् चार देवकुलिकाओं में से तीन में पीछी और कमण्डलु धारण किये हुए मुनि कायोत्सर्गासन में दर्शाये गये हैं और एक में (दक्षिण की ओर) पीछी और कमण्डलु धारण किये आर्यिका का अंकन है।
यह स्तम्भ कला की दृष्टि से साधारण कोटि का है ।
मन्दिर संख्या 6, 7 और 9 का मध्यवर्ती स्तम्भ
स्तम्भ संख्या 7
माप
सतह से चौकी की ऊँचाई 8 इंच
1. दे. - चित्र संख्या पाँच में स्तम्भ |
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स्मारक :: 73
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