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चौकी से स्तम्भ की ऊँचाई 4 फुट 9 इंच स्तम्भ चौकोर ( 2 फुट 11 इंच )
विवरण
यह स्तम्भ भट्टारक-समाधि से सम्बन्धित प्रतीत होता है। इसके पूर्व और पश्चिम में एक-एक देवकुलिका है, जिसमें गले में माला धारण किये हुए कायोत्सर्गासन एक-एक मूर्ति ( सम्भवतः भट्टारकों की) उत्कीर्ण है । इस स्तम्भ के पूर्व में एक पंक्ति का और पश्चिम में तीन पंक्तियों का अभिलेख उत्कीर्ण है ।
मन्दिर सं. 12 के महामण्डप के सामने चबूतरे पर अवस्थित मानस्तम्भ
स्तम्भ संख्या 8
माप
स्तम्भ की ऊँचाई 13 फुट 8 इंच
स्तम्भ
भ - अठपहलू
विवरण
इस विशाल स्तम्भ' के निचले भाग में चतुर्दिक् चार देवकुलिकाओं में चतुर्भुजी चार देवियों का अत्यन्त सुन्दर अंकन है । पश्चिमी देवकुलिका की देवी वृषारूढा है, दक्षिणी देवकुलिका की देवी नरारूढा तथा पूर्वी और उत्तरी देवकुलिकाओं की देवियाँ क्रमशः मयूर और सिंह पर आसीन दिखाई गयी हैं ।
स्तम्भ के मध्य में, कीर्तिमुखों से 4 फुट 10%1⁄2 इंच लम्बी और मध्य में ग्रन्थियुक्त तीन-तीन श्रृंखलाओं से बहुत सुन्दर घण्टियाँ लटक रही हैं ।
इसके ऊपर चारों ओर चार देवकुलिकाओं में एक-एक कायोत्सर्गासन तीर्थंकर मूर्तियों का अंकन है। स्तम्भ के ऊपरी भाग पर एक कटावदार पाषाण है ।
1. इस स्तम्भ के निचले भाग को चबूतरे में एक हौज के आकार का गड्ढा रखकर प्रदर्शित किया गया है । स्तम्भ का ऊपरी भाग चित्र संख्या 17 में देखा जा सकता है।
74 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन
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