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विवरण
चोकी पर अवस्थित इस मानस्तम्भ में नीचे के हिस्से में चारों ओर देवकुलिकाएं हैं, जिनमें क्रमशः दक्षिण में नाग, पश्चिम में नागी, उत्तर में अपने वाहन सिंह सहित अम्विका अपने दोनों बालकों तथा आम्रगुच्छक सहित अंकित हैं और पूर्व में चक्रेश्वरी देवी अपने वाहन गरुड़ पर आरूढ़ दिखाई गयी हैं। इनकी मुद्राएँ अत्यन्त ऋजु और सज्जा बहुत सुन्दर है ।
इन देवकुलिकाओं के ऊपर स्तम्भ अठपहलू हो जाता है और वहाँ कीर्तिमुखों से अत्यन्त सुन्दर घण्टिकाएं झूलती हुई दीख पड़ती हैं ।
कीर्तिमुखों के ऊपर 2 इंच उभरी हुई देवकुलिकाओं में हाथियों के पश्चात् क्रमशः पूर्व की ओर उपदेश मुद्रा में पीछी - कमण्डलु सहित छह साधुओं का अंकन है ।
दक्षिण की ओर पीछी ओर कमण्डलु सहित विनयावनत मुद्रा में छह आर्यिकाएँ अंकित हैं। पश्चिम में एक साधु के पश्चात् एक आर्यिका इस प्रकार की कुल छह आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं । ये सभी बगल में अपनी 'पीछी' तो दबाये हैं, किन्तु सभी के कमण्डलु अदृश्य हैं ।
उत्तर की ओर विशिष्ट अभिरुचि का प्रदर्शन हुआ है, (दायीं ओर से ) सर्वप्रथम साधु हाथ जोड़े हुए दिखाये गये हैं। उसके पश्चात् आचार्य परमेष्ठी का अंकन उपदेश - मुद्रा में हुआ है, इसके पश्चात् क्रमशः एक श्राविका, एक श्रावक और पुनः एक श्राविका का अत्यन्त सुन्दरता से अंकन हुआ है। ये तीनों (श्रावक-श्राविकाएँ) हाथ जोड़े हुए हैं।
इसके ऊपर स्तम्भ गोलाकार हो जाता है, और लगभग 2 फुट के बाद एक अत्यन्त सुन्दर कटावदार आमलक की आकृति का पाषाण समाविष्ट है ।
इसके पश्चात् कीचकों के ऊपर चतुर्दिक् चार देवकुलिकाओं में चार पद्मासन मूर्तियों का सुन्दरता से अंकन है ।
पूर्व और दक्षिण की देवकुलिकाओं में हरिण - चिह्नांकित सोलहवें तीर्थंकर शान्तिनाथ उत्कीर्ण हैं |
पश्चिमी देवकुलिका में सप्तफणावलि सहित तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का अंकन है, जबकि उत्तरी देवकुलिका में उपेदश मुद्रा में आचार्य परमेष्ठी का अंकन उपासनारत शिष्यों श्रावकों के साथ हुआ है । इन सभी की मुद्राएँ सुन्दर हैं । इस सबके ऊपर अंग- शिखर के आकार की देवकुलिकाएँ हैं । यह मानस्तम्भ बहुत भव्य है ।
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1. दे. चित्र संस्था 13 में स्तम्भ संख्या तीन ।
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स्मारक :: 71
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