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________________ इस स्तम्भ के पूर्वी भाग में 10 इंच 10 इंच माप का 9 पंक्तियों का एक अभिलेख अंकित है जिसमें संवत् 1493 में महीचन्द्र नामक किसी श्रावक के द्वारा की गयी मूर्ति स्थापना का विवरण दिया गया है मन्दिर संख्या 1 के पीछे उत्तर में स्थित तथाकथित मानस्तम्भ स्तम्भ संख्या 2 माप सतह से चौकी की ऊँचाई 9 इंच चौकी से स्तम्भ की ऊँचाई 9 फुट 6 इंच अठपहलू रूप विवरण चौकी पर स्थित इस स्तम्भ के निचले भाग में ( 102 इंच ऊँची) चार देवकुलिकाओं में जैन - शासन देवियाँ और देव क्रमशः अम्बिका, चक्रेश्वरी, पद्मावती और धरणेन्द्र अंकित दिखाये गये हैं । इन देवकुलिकाओं के ऊपर (स्तम्भ के मध्य में) कीर्तिमुखों से चारों ओर घण्टियाँ झूल रही हैं। इसके ऊपर चारों ओर की देवकुलिकाओं में से तीन में पद्मासन तीर्थंकर - मूर्तियाँ और दक्षिण में उपाध्याय परमेष्ठी की मूर्ति उपदेश - मुद्रा में अंकित हैं । उपाध्याय की मूर्ति के आसन के निकट टूटदार मेज भी अंकित है, उनकी पीछी - कमण्डलु भी अंकित हैं तथा उनके वायीं ओर एक करबद्ध भक्त आसीन दिखाया गया है । पश्चिमी देवकुलिका के तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ पंच-फणावलि सहित अंकित हैं, जबकि शेष दो तीर्थंकर मूर्तियाँ चिह्नविहीन हैं या उनके चिह्न नष्ट हो गये हैं । मन्दिर संख्या 1 के पीछे (मध्यवर्ती) मानस्तम्भ स्तम्भ संख्या 3 1 माप सतह से चौकी की ऊँचाई 1 फुट 9 इंच चौकी से स्तम्भ की ऊँचाई 14 फुट 1 इंच 1. दे. चित्र संख्या 13 में स्तम्भ सं. दो । 1 70 :: देवगढ़ की जैन कला एक सांस्कृतिक अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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