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विवरण
- इस पूर्वाभिमुख मन्दिर का मण्डप चार स्तम्भों पर आधारित है, सामने के दो स्तम्भों के अतिरिक्त शेष दो स्तम्भ भित्तियों में चिने हुए हैं। प्रवेश-द्वार साधारण है। उसके सिरदल के मध्य में कायोत्सर्गासन पार्श्वनाथ का अंकन है। इस मूर्ति के वायें एक पंक्ति का अभिलेख भी उत्कीर्ण है।
गर्भगृह में पाँच शिलापट्ट अवस्थित हैं, जिनमें से दो पर पद्मासन और शेप पर कायोत्सर्गासन तीर्थकर मूर्तियों का अंकन है। एक मूर्ति अभिलिखित भी
मन्दिर संख्या 26
माप
मन्दिर की लम्वाई (पू.-प.) 29) फट 10 इंच मन्दिर की चौड़ाई (उ.-द.) 18 फुट 9 इंच अधिष्ठान मन्दिराकार समतल अधिष्ठान (सतह) से मण्डप की छत की ऊंचाई 9 फुट 9 इंच अधिष्ठान से गर्भगृह की छत की ऊँचाई 8 फुट 5 इंच विवरण
इस पूर्वाभिमुख मन्दिर का मण्डप आठ स्तम्भों पर आधारित है। सामने के मध्यवर्ती दो स्तम्भों के अतिरिक्त शेप छह भित्तियों से सटे हुए हैं। मण्डप के दायें और बायें 3 फुट 7 इंच ऊँचे, 8 फट । इंच लम्बे तथा 2 फुट 10 इंच चौड़े चबूतरे
मण्डप में पांच शिलापट्ट विद्यमान हैं, जिनमें से एक पर मात्र भामण्डल शेष है, सम्भवतः उसपर की मूर्ति काट ली गयी है।
प्रवेश-द्वार सामान्य अलंकृत है, इसके सिरदल पर मध्य में पंच फणावलियुक्त कायोत्सर्ग सुपार्श्वनाथ का अंकन है । गर्भगृह के मध्यवर्ती दो के अतिरिक्त शेप सभी 1) स्तम्भ भित्तियों में चिने हुए हैं। सभी स्तम्भ सादे और चतुष्कोण हैं।
गर्भगृह में 13 प्रस्तर खण्ड विद्यमान हैं, उनमें से सात पर अभिलेख हैं। यहाँ की कुछ अत्यन्त सुन्दर मूर्तियों के सिर 1959 ई. में मूर्तिभंजकों द्वारा काट लिये गये हैं, जिनमें एक मूर्ति धरणेन्द्र-पद्मावती की भी है।
।. दे. चिा संख्या 31 ।
स्मारक:: 61
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