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महामण्डप का अधिष्ठान समचतुष्कोण 42 फुट 9 इंच महामण्डप के अधिष्ठान की ऊँचाई 2 फुट 10 इंच अन्तराल और महामण्डप के बीच का अन्तर 6 इंच अन्तराल की लम्बाई (उ. - द.) 10 फुट
अन्तराल की चौड़ाई ( पू. - प.) 7 फुट 2 इंच
अन्तराल के बायीं ओर की मढ़िया की लम्बाई (उ. - द.) 9 फुट 9 इंच अन्तराल के बायीं ओर की मढ़िया की चौड़ाई ( पू. प.) 7 फुट 2 इंच अन्तराल के बायीं ओर की अधिष्ठान की ऊँचाई 1 फुट 7 इंच अन्तराल के दायीं ओर की मढ़िया की लम्बाई (उ. - द.) 10 फुट 6 इंच अन्तराल के दायीं ओर की मढ़िया की चौड़ाई ( पू. प.) 7 फुट 2 इंच अन्तराल के दायीं ओर की अधिष्ठान की ऊँचाई 1 फुट 9 इंच प्रदक्षिणा पथ के अधिष्ठान की लम्बाई (पू. प.) 40 फुट 5 इंच प्रदक्षिणा पथ के अधिष्ठान की चौड़ाई (उ. - द.) 35 फुट प्रदक्षिणा पथ की चौड़ाई ( भीतर की ओर ) 4 फुट 3 इंच प्रदक्षिणा पथ के अधिष्ठान की ऊँचाई 2 फुट 9 इंच सतह से महामण्डप के छत की ऊँचाई 15 फुट 4 इंच सतह से प्रदक्षिणा पथ के छत की ऊँचाई 17 फुट छत से अंग शिखर की ऊँचाई 22 फुट
छत से सम्पूर्ण शिखर की अनुमानित ऊँचाई 45 फुट
विवरण
इस अत्यन्त भव्य पश्चिमाभिमुख मन्दिर के आकार-प्रकार में अनेक सम्भावनाएँ छिपी हैं। वर्तमान में यह पंचायतन शैली' का सन्धार प्रासाद" है । हम सर्वप्रथम अर्धमण्डप' में प्रवेश करते हैं । उसमें से छह सीढ़ियों द्वारा एक चौड़े चबूतरे
1. श्री कनिंघम और फुहरर - दोनों ने ही इसे 42 फुट 3 इंच समचतुष्कोण नापा था । दे. - क्रमशः (अ) ए. एस. आई. आर., जि. 10, पृ. 100 (ब) मा. ए. इ., पृ. 1201
2. श्री कनिंघम और श्री फुहरर ने इसका माप 39 फुट 2 इंच + 34 फुट 3 इंच प्रस्तुत किया है। दे. - (अ) कनिंघम : वही, पृ. 100 (ब) फुहरर : वही,
पृ. 1201
3. दे. - चित्र संख्या 16 से 25 तक |
4. पंचायतन शैली के दो रूप प्रचलित थे, प्रथम रूप में वे मन्दिर आते हैं जिनमें मण्डप, महामण्डप, अन्तराल, गर्भगृह और प्रदक्षिणापथ ये पाँच अंग (आयतन) होते हैं, द्वितीय रूप में ये मन्दिर आते हैं जिनके चारों कोनों पर एक-एक मन्दिर (1 + 4 = 5) और होते हैं।
5. ऐसा प्रासाद जिसमें प्रदक्षिणा पथ होता है।
6. दे. - चित्र संख्या 16 1
50 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन
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