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महामण्डप और गर्भगृह इसे निरन्धार प्रासाद' सिद्ध करते हैं। इसके बहिर्भाग पर सादी पंक्तियां हैं 1
यह उल्लेखनीय है कि देवगढ़ के मन्दिरों में दुमंजिले दो अपवादों में से यह दूसरा है। मं. सं. 3 (पूर्वी भाग) अब इकमंजिला ही कर दिया गया है, परन्तु यह अपने पूर्वरूप में ही विद्यमान है ।
आठ स्तम्भों पर आधारित इसके लम्बे मण्डप को अर्धमण्डप की अपेक्षा मण्डप ही कहना अधिक उपयुक्त होगा। प्रवेश द्वार सुन्दरता से अलंकृत है । महामण्डप में, भित्तियों में चिने हुए 12 स्तम्भों के अतिरिक्त चार मध्यवर्ती स्तम्भ हैं। गर्भगृह में तीन तीर्थंकर मूर्तियाँ स्थापित हैं, जिनमें से एक-दूसरे खण्ड से लाकर रखी गयी हैं । उत्तर-पूर्व के कोने में दूसरे खण्ड के लिए सोपान - मार्ग है, जिसका जीर्णोद्धार 1938 ई. में जिनेन्द्र- गजरथ-प्रतिष्ठा महोत्सव के समय कराया गया था ।
दूसरे खण्ड पर महामण्डप का द्वार विशेष रूप से अलंकृत है और उसपर अंकित मदनिकाएँ तथा अन्य मूर्तियाँ खजुराहो - कला का स्मरण दिलाती हैं । महामण्डप में 25 शिलाफलकों में से 18 पर कायोत्सर्ग और 7 पर पद्मासन तीर्थंकर मूर्तियाँ अंकित हैं। गर्भगृह का प्रवेश-द्वार सुचारुता से अलंकृत है । उसमें वेदी पर पाँच तीर्थंकर मूर्तियां स्थापित हैं, जिनमें से एक नवीन सफेद संगमरमर की है।
दूसरे खण्ड की छत पर ( गर्भगृह के ऊपर) एक लघु शिखराकार पाषाणखण्ड जीर्णोद्धार के समय स्थापित कर दिया गया है ।
मन्दिर संख्या 12
माप
अर्धमण्डप की लम्बाई (उत्तर - दक्षिण ) 12 फुट 8 इंच अर्धमण्डप की चौड़ाई (पूर्व-पश्चिम ) 11 फुट 9 इंच अर्धमण्डप की छत की ऊँचाई 13 फुट 8 इंच
अर्धम. और महाम. के बीच के चबूतरे की लम्बाई (उ. - द.) 42 फुट 9 इंच चौड़ाई ( पू. - प. ) 16 फुट 4 इंच ऊँचाई 3 फुट 5 इंच
1. ऐसा प्रासाद जिसमें प्रदक्षिणा पथ नहीं होता ।
2. दे. इस मन्दिर की विन्यास रूपरेखा चित्र क्र. 38 |
3. (अ) श्री कनिंघम ने इसे 16 फुट 7 इंच नापा था । दे. - ए. एस. आई. आर., जिल्द 10,
पृ. 1011 (4) श्री फुहरर ने इसे 16 फुट 9 इंच ही नापा । दे. - मा. ए. ई., पृ. 1201
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स्मारक :: 49
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