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और सातवें स्तम्भ के मध्य में अवस्थित है। यह सम्पूर्ण मन्दिर चौथे और पाँचवें स्तम्भ के मध्य (उत्तर-दक्षिण) 8 इंच चौड़ी एक भित्ति द्वारा दो भागों में विभाजित था, परन्तु अब उसके पश्चाद्वर्ती दो स्तम्भों के मध्य की भित्ति को तोड़कर एक विभाग से दूसरे विभाग से सम्बन्धित कर दिया गया है।
पश्चाद्वर्ती भित्ति से संयुक्त 2 फुट 2 इंच चौड़ी एक वेदी है। यह वेदी मन्दिर के पूर्वार्ध में 1 फुट ऊँची और उत्तरार्ध में 7 इंच ऊँची है। इस वेदी के साथ पश्चाद्वर्ती भित्ति और छत का जीर्णोद्धार किया गया है। इस मन्दिर के उत्तरार्ध की छत सपाट थी जैसी कि वह आज भी है, परन्तु पूर्वार्ध पर दूसरी मंजिल भी थी। अत्यन्त ध्वस्त हो जाने से दूसरी मंजिल की सामग्री को स्थानान्तरित कर अव छत को सपाट कर दिया गया है।
वर्तमान में इस मन्दिर में मौलिक और स्थायी रूप से समाविष्ट कोई मूर्ति नहीं है। पूर्वार्ध में अस्थायी रूप से भी कोई मूर्ति नहीं है, जबकि उत्तरार्ध में 25 शिलाफलक विद्यमान हैं और उन पर विभिन्न मूर्तियाँ अंकित हैं।
मन्दिर संख्या 4
माप अधिष्ठान की लम्बाई (उत्तर-दक्षिण) 28 फुट 6 इंच अधिष्ठान की चौड़ाई (पूर्व-पश्चिम) 24 फुट 8 इंच अधिष्ठान की ऊँचाई 1 फुट 6 इंच मण्डप की लम्बाई (पूर्व-पश्चिम) 7 फुट 3 इंच मण्डप की चौड़ाई (उत्तर-दक्षिण) 4 फुट 11 इंच
मण्डप के बायें 1 फुट 6 इंच का और दायें 2 फुट 10 इंच का अन्तर देकर 1 फुट 9 इंच चौड़ी और 2 फुट 2 इंच ऊँची देवकुलिकाएँ हैं, जिनमें पद्मासन तीर्थंकर अंकित हैं।
__ पश्चिमी दीवार पर दक्षिण से 13 फुट 4 इंच की दूरी पर 3 फीट 1 इंच की ऊँचाई पर 1 फुट 9 इंच चौड़ी और 3 फुट 10 इंच ऊँची देवकुलिका में जीर्णोद्धार के समय अम्बिका की एक सुन्दर मूर्ति समाविष्ट कर दी गयी है : अधिष्ठान से छत की ऊँचाई 10 फुट 3 इंच छत से गुमटी के अधिष्ठान की ऊँचाई 10 इंच गुमटी का अधिष्ठान समचतुष्कोण 6 फुट गुमटी की परिधि 17 फुट गुमटी की (उसके अधिष्ठान से) ऊँचाई 5 फुट !() इंच
गुमटी के उत्तर-पूर्व के स्तम्भ में ऊपर चारों ओर इकहरी देवकुलिकाओं में
42 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन
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