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परन्तु अनुमान है कि मन्दिर से लगा हुआ इसका कोई मण्डप और रहा होगा, जिसके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।
मन्दिर में स्थायी रूप से मूर्तियों को स्थापित करने के लिए कोई वेदी नहीं है, इस कारण तथा पूर्व और पश्चिम की ओर के दो बरामदों या मण्डपों की सम्भावना से प्रतीत होता है कि यह भवन प्रारम्भ में मन्दिर के रूप में नहीं, बल्कि साधुओं या भट्टारकों आदि के निवास के रूप में उपयोग में लाया जाता होगा।
इस समय इसमें जो मूर्तियाँ स्थापित हैं, उनकी संख्या 10 है।
मन्दिर संख्या 3
माप अधिष्ठान की लम्बाई (पूर्व-पश्चिम) 40 फुट 8 इंच अधिष्ठान की चौड़ाई (उत्तर-दक्षिण) 37 फुट 9 इंच अधिष्ठान की ऊँचाई । फुट 6 इंच मण्डप की चौड़ाई 7 फुट 4 इंच मण्डप के आगे के खुले चबूतरे की चौड़ाई 5 फुट 1 इंच अधिष्ठान से छत की ऊँचाई 9 फुट 2 इंच
इस मन्दिर की पश्चिमी दीवार में दक्षिण में 2 फुट 9 इंच की दूरी पर अधिष्ठान से 3 फुट 8 इंच की ऊँचाई पर 4 फुट 4 इंच लम्बा और 5 इंच चौड़ा गवाक्ष जीर्णोद्धार के समय समाविष्ट कर दिया गया है।
दक्षिणी दीवार में 2 फुट 2 इंच x 1 फुट 8 इंच का एक जालीदार गवाक्ष अधिष्ठान से 4 फुट 6 इंच की ऊँचाई पर और पूर्व से 8 फुट की दूरी पर जीर्णोद्धार के समय समाविष्ट कर दिया गया है। विवरण
यह उत्तरमुख मन्दिर आठ-आठ स्तम्भों (पूर्व-पश्चिम) की तीन और सात स्तम्भों की दो पंक्तियों पर आधारित है। प्रथम (पूर्व की ओर की) और द्वितीय स्तम्भ-पंक्ति पर खुला मण्डप और द्वितीय से पाँचवीं तक की स्तम्भपंक्ति पर मन्दिर आधारित है। बाहरी स्तम्भों के मध्य का अन्तर 1 फुट 10 इंच चौड़ी भित्ति से बन्द है, जिसमें 20 स्तम्भ भित्तियों में चिने हुए भीतर की ओर दिखाई पड़ते हैं।
इस मन्दिर में पूर्व की ओर दो द्वार हैं। प्रथम द्वार दूसरी स्तम्भ पंक्ति (पश्चिम से पूर्व) के द्वितीय और तृतीय स्तम्भ के मध्य और द्वितीय द्वार उसी पंक्ति के छठवें
1. दे.-चित्र संख्या तीन।
स्मारक::41
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