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स्मारक
प्रास्ताविक
प्रस्तुत अध्याय में देवगढ़ के सभी स्मारकों का, जिनमें मन्दिर, लघु-मन्दिर और मानस्तम्भ भी सम्मिलित हैं, सूक्ष्म सर्वेक्षण दिया गया है। स्मारकों की पैमाइश के अन्तर्गत उनके प्रायः सभी अंगों और उपांगों की लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई आदि की पैमाइश भी की गयी है अतः सम्पूर्ण स्मारक का मानचित्र दृष्टि में उभर आता है। जिन स्मारकों की विन्यास-रेखा में अनेक कोण आदि की पेचीदगी है, उनका मानचित्र भी प्रस्तुत कर दिया गया है। जो स्मारक ध्वस्त हो चले हैं उनकी मौलिकता का अनुमान बिखरे हुए अवशेषों, श्री कनिंघम आदि के विवरणों, चित्रों और शैलीगत विशेषताओं के आधार पर किया है।
पैमाइश के पश्चात् स्मारक के उद्देश्य, विन्यास-रेखा, दिशा, स्थिति, विभाग और मण्डप आदि मुख्य अंगों तथा स्तम्भ आदि उपांगों का विस्तृत सर्वेक्षण किया है। उनकी विशेषताओं, कलागत गुणावगुणों और शास्त्रीय विधानों आदि की चर्चा आगे के अध्यायों में की गयी है।
सर्वप्रथम मन्दिरों का सर्वेक्षण किया गया है। उनके क्रमांक, सुविधा की दृष्टि से वही स्वीकार किये गये हैं जो श्री साहनी द्वारा, उनके स्थितिक्रम से निर्धारित किये गये थे और जो कालान्तर में शिलाओं पर उत्कीर्ण कराये जाकर मन्दिरों से संलग्न कर दिये गये हैं। मन्दिरों के पश्चात् लघुमन्दिरों का और उनके पश्चात् मानस्तम्भों का सर्वेक्षण किया गया है। इनके क्रमांक सर्वप्रथम निर्धारित किये गये हैं। निर्धारण का आधार उनका स्थितिक्रम ही है।
___ मन्दिरों और लघु-मन्दिरों में स्थायी तथा अस्थायी रूप से स्थित मूर्तियों आदि की संख्या दी गयी है।
जैनेतर स्मारकों का परिचय मात्र दिया गया है, उनका स्थापत्य एवं कलागत विवेचन नहीं किया गया है।
38 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन
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