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भी अपने सामन्त वनाये थे।' यहाँ के एक शिलालेख में गुप्त-कालीन ब्राह्मी' का स्वरूप पाया जाता है। इस काल में यहाँ अनेक मन्दिरों और सैकड़ों मूर्तियों का निर्माण भी हुआ।
4. वर्धन साम्राज्य से आयुधवंश तक
गुप्तकाल के पश्चात् लगभग 100 वर्ष तक यहाँ कदाचित् गुप्तों के किसी स्थानीय राजवंश का शासन रहा। वर्धन सम्राट हर्ष के साम्राज्य में चेदि का एक बड़ा भाग शामिल था।' उसकी मृत्यु के पश्चात् यशोवर्मा ने इस प्रदेश पर अपना अधिकार जमा लिया था।"
___880 ई. के आसपास काश्मीर के मुक्तापीड ललितादित्य ने यशोवर्मा को पराजित करके इस प्रदेश पर अपना शासन स्थापित कर लिया। परन्तु शीघ्र ही उसका शासन यहाँ से समाप्त हो गया और कदाचित् आयुध-वंश ने अपनी सत्ता वहाँ स्थापित की, पर वह भी अधिक समय तक स्थिर न रह सकी।
5. गुर्जर-प्रतिहार शासन
यहाँ विक्रम संवत् 91) का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है, जिसके अनुसार
1. इनके विस्तृत विवरण के लिए दे.--(अ) डा. रा. व. पाण्डेय : वही, पृ. 226 । (ब) डॉ. र. शं. __त्रिपाठी : वही, पृ.183-86 । 2. ए. कनिंघम : ए. एस. आइ., जिल्द 10, पृ. 102। 3. यहाँ इस काल में निर्मित मन्दिरों तथा मूर्तियों का परिचय इस प्रबन्ध के अध्याय 3 और 4 में। 1. (अ) डॉ. रा. व. पाण्डेय : वही, पृ. 271, 273 । (व) डॉ. र. शं. त्रिपाठी : वही, पृ. 225 ।
(स) डॉ. रा. कु. मु. : वही, पृ. 122 । (द) डॉ. मजूमदार आदि : भा. बृ. इ., पृ. 168, 171-72 |
(इ) गो. ला. तिवारी : वही, पृ. 25-26 । 5. (अ) डॉ. रा. च. पाण्डेय : वही, पृ. 296 । (व) डॉ. र. शं. त्रिपाठी, वही, पृ. 237 तथा 258 1 (स)
डॉ. आर. एस. त्रिपाठी : हिस्ट्री ऑफ कनौज (दिल्ली, 1959 ई.), पृ. 204-205 ।
(द) डॉ. मजूमदार आदि : भा. वृ. इ., पृ. 1761 6. (अ) डा. रा. व. पाण्डेय : वही, पृ. 296 । (ब) डॉ. आर. एस. त्रिपाठी : हि. क., पृ. 237। (स)
डॉ. मजूमदार आदि : भा. वृ. इ., पृ. 1761 (द) डॉ. मजूमदार आदि : एड. हि. इं.,
पृ. 163 । (इ) डा. रा. कु. मुकर्जी : वही, पृ. 129 | 7. डॉ. रा. कु. मुकर्जी : वही, पृ. 1301 8. (अ) डॉ. रा. व. पाण्डेय : वही, पृ. 297 98 । (व) डॉ. र. शं. त्रिपाठी : प्रा. भा. इ., पृ. 240-41।
(स) डॉ. आर. एस. त्रिपाठी : हि. क., पृ. 237। (द) डॉ. आर. सी. मजूमदार, डॉ. रायचौधरी
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