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नागों के प्रमुख 4 राजनीतिक केन्द्र विदिशा, कान्तिपुरी, पद्मावती ओर मथुरा थे। कान्तिपुरी देवगढ़ के सबसे अधिक निकट है । अतः सम्भव है कि देवगढ़ वहीं के शासकों के अधिकार में रहा हो । सातवाहन साम्राज्य के अन्तर्गत चेदि जनपद का कुछ भाग था । 2
3 गुप्तयुग
गुप्तवंश का अधिकार प्रायः आदि से अन्त तक देवगढ़ पर रहा। समुद्रगुप्त से स्कन्दगुप्त तक के सभी सम्राटों का ध्यान पाटलिपुत्र पर कम रहा। क्योंकि वह राजनीतिक रूप से सुरक्षित था, और मालवा पर अधिक रहा क्योंकि वे उसे पार करके समुद्री किनारों पर अपना व्यापारिक विस्तार करना चाहते थे ।" इसीलिए उन्होंने इस प्रदेश के आटविक राजाओं को अपना सामन्त बनाया, जिनमें चेदि, दशार्ण के शासक भी थे ।
समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में जिन नाग राजाओं के नाम आये हैं, उनमें नागसेन और गणपति नाग के नाम उल्लेखनीय हैं, जिन्हें समुद्रगुप्त ने बलपूर्वक अपने अधीन कर लिया था।" समुद्रगुप्त ने चेदि के पूर्वी भाग की भाँति पश्चिमी भाग में
1. (क) डॉ. रा. ब. पाण्डेय : वही, पृ. 221 । (ख) डॉ र. शं. त्रिपाठी वही, पृ. 179 (ग) डॉ. रा. कु. मु. वही, पृ. 93 ।
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2. (क) डॉ. रा. व. पाण्डेय : वही, पृ. 184-85 ( ख ) डॉ र. शं. त्रिपाठी वही, पृ. 118-191 (ग) डॉ. आर. सी. मजूमदार आदि एड. हि. इं., पृ. 1141
3. (क) डॉ. रा. ब. पाण्डेय वही, पृ. 2381 ( ख ) डॉ. मजूमदार आदि एड. हि. इं., पृ. 147-151। (ग) गो. ला. तिवारी : वही, पृ. 19-201
4. डॉ. रा. व. पाण्डेय : वही, पृ. 225 /
5. (अ) डॉ. रा. कु. मु.
वही, पृ. 97, 99 और 104 1 (व) डॉ. रमेशचन्द्र मजूमदार आदि मा. वृ.
इ., पृ. 159, 161 |
6. (अ) डॉ. रा. कु. मु. वही, पृ. 97, 104, 1121 ( ब ) डॉ. र. च. मजूमदार आदि भा. वृ.
इ., पृ. 159 1
7. (अ) डॉ. रा. व. पाण्डेय : वही, पृ. 225-261 (व) डॉ. रा. कु. मु. वही, पृ. 96 । (स) डॉ. र. च. मजूमदार आदि : भा. बृ. इ., पृ. 158 ।
8. प्रयाग प्रशस्ति के लिए दे. - जे. एफ. फ्लीट : कार्पस इंसिक्रप्सनम् इण्डिकेरम्, जिल्द तीन, गुप्त अभिलेख संख्या एक- 171
9. (अ) डॉ. रा. ब. पाण्डेय : वही, पृ. 225 । (च) डॉ. रा. कु. मु. वही, पृ. 96 । (स) डॉ. आर. सी. मजूमदार आदिः एड. हि. इं., पृ. 1461 (ड) डॉ. र. च मजूमदार आदि भा. वृ. इ., पृ. 1571 (इ) गो. ला. तिवारी वही, पृ. 14 ।
34 :: देवगढ़ की जैन कला : एक सांस्कृतिक अध्ययन
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