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________________ उल्लेखनीय टिप्पणियां की हैं।' देवगढ़ के सम्बन्ध में अब तक का अन्तिम प्रकाशन यहाँ की प्रबन्ध समिति द्वारा प्रकाशित एक सचित्र पुस्तिका है। इसके अतिरिक्त, ब्र. प्रेमसागर की 'देवगढ़ पूजन'' श्री कल्याणकुमार 'शशि' का 'देवगढ़ काव्य और श्री हरिप्रसाद 'हरि' की 'देवगढ़' नामक काव्यमय पुस्तिकाएँ भी प्रकाशित हुई हैं। इस प्रबन्ध में 'देवगढ़ की जैन कला का सांस्कृतिक अध्ययन' किया गया है। इसमें मध्य काल तक की कला का विशेष रूप से और उसके बाद की कला का सामान्य रूप से प्रतिपादन किया गया है। स्मारकों और उनकी स्थापत्यगत विशेषताओं, मूर्तियों और अभिलेखों का विवरण देने के पश्चात् उनके आधार पर देवगढ़ की जैन संस्कृति, समाज और धर्म पर प्रकाश डाला गया है। स्थिति देवगढ़ उत्तर प्रदेश में नवनिर्मित ललितपुर जिले की ललितपुर तहसील में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर बेतवा के किनारे, 24° 32 उत्तरी अक्षांश और 78 15 पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। मध्य रेलवे के दिल्ली-बम्बई मार्ग के ललितपुर स्टेशन से यह दक्षिण-पश्चिम में 33 किलोमीटर की एक पक्की सड़क से जुड़ा है। उसी रेलवे के जाखलौन स्टेशन से इसकी दूरी 13 किलोमीटर है।। प्राचीन देवगढ़ विन्ध्याचल की पश्चिम श्रेणी पर गिरि-दुर्ग के मध्य स्थित था। आज वह उसकी पश्चिमी उपत्यका में बसा है। यहाँ की जनसंख्या लगभग 300 है। एक आधुनिक दिगम्बर जैन मन्दिर, विशाल जैन धर्मशाला, साहू जैन संग्रहालय ओर शासकीय वन-विश्राम-गृह भी यहाँ है। ग्राम के उत्तर में प्रसिद्ध दशावतार मन्दिर तथा शासकीय संग्रहालय और पूर्व में पहाड़ी पर उसके दक्षिण-पश्चिमी कोने पर 'जैन स्मारक' हैं। इस पहाड़ी की अधित्यका को घेरे हुए एक विशाल प्राचीर है, जिसके पश्चिम में 'कुंजद्वार' और पूर्व में 'हाथी-दरवाजा' है। इसके मध्य एक और प्राचीर है, जिसे 1. शिवलाल अग्रवाल एण्ड कं. प्रा. लि., आगरा से सन् 1959 ई. में प्रकाशित। (अ) 'उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक विभूति' उ. प्र. शासन के शिक्षा विभाग द्वारा लखनऊ से 1957 ई. में प्रकाशित। (व) उत्तर प्रदेश में पुरातत्त्वीय अनुसन्धान : शिक्षा (अक्टूबर 1955 ई.) में प्रकाशित। ''. प्रका.--सिंघई नाथूराम जैन, व्यवस्थापक-श्री देवगढ़ जीर्णोद्धार कमेटी, ललितपुर, वीर संवत् 21511 3. प्रका. --उपर्युक्त, सन् 1939 । 1. प्रका.. दरवारी लाल जैन, ललितपुर, सन् 1954 ई.। पृष्ठभूमि :: 27 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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