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________________ (स) विद्या- देवियाँ : गौरी, महाकाली, महामानसी । (द) प्रतीकात्मक देव - देवियाँ : (अ) सरस्वती की मूर्तियाँ : 1. मं.सं. एक के पीछे की सरस्वती मूर्ति, 2. मं. सं. 12 के गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर सरस्वती, 3. मं. सं. 19 में स्थित सरस्वती मूर्ति, 4. सरस्वती की खड़ी मूर्ति, 5. अन्य सरस्वती मूर्तियाँ । (ब) लक्ष्मी, देवगढ़ में उपलब्ध लक्ष्मी मूर्तियाँ । (स) नवग्रह । (द) गंगा-यमुना और नाग - नागी । (इ) अन्य देव - देवियाँ : 1. इन्द्र-इन्द्राणी, 2. उद्घोषक, 3. परिचारक परिचारिकाएँ, 4. कीर्तिमुख, 5. कीचक, 6. द्वारपाल, 7. क्षेत्रपाल । 5. मूर्तिकला ( अन्य मूर्तियाँ) 6. विद्याधरों की मूर्तियाँ 7. साधु-साध्वियाँ (अ) आचार्य, (ब) उपाध्याय, ( स ) साधुः 1. जैन धर्मशाला में प्रदर्शित बाहुबली, 2. मं. सं. 11 में स्थित बाहुबली, 3. भरत - बाहुबली, 4. भरत । 8. आचार्य, उपाध्याय और साधुओं के मूर्त्यंकन (अ) आचार्य मूर्तियाँ 1. मं. सं. 1 के पीछे जड़ी आचार्य मूर्ति (छत्रधारी श्रावक सहित ), 2. मं. सं. एक के पीछे जड़ी आचार्य मूर्ति, 3. अशोक वृक्ष के नीचे आचार्य का अंकन, 4. आचार्य की विरल मूर्ति ( क्षत्रधारिणी श्राविका सहित), 5. कुलपति के रूप में आचार्य, 6. पाठशालाओं के अन्य अंकन । (ब) उपाध्याय मूर्तियाँ 1. पद्मासनस्थ उपाध्याय मूर्ति, 2. अभिलिखित उपाध्याय मूर्ति, 3. तीर्थंकर के परिकर में उपाध्याय मूर्तियाँ, 4. तोरण पर अध्यापनरत उपाध्याय, 5. अन्य उपाध्याय मूर्तियाँ । (स) साधु - मूर्तियाँ 1. साधु द्वारा आहार ग्रहण, 2. सम्बोधन, 3. शूकर को सम्बोधन, 4. साधु विहार, 5. निश्चल योगिराज, 6 संवाहन कराते हुए मुनि । (द) ऐलक (इ) साध्वी मूर्तियाँ : 1. प्रतिक्रमण कराती हुई आर्यिका, 2. प्रवचन करती हुई आर्यिका, 3. आर्यिका संघ । 169-212 9. श्रावक-श्राविकाएँ 1. तीर्थंकर की माता, 2. तीर्थंकर - माता का एक अन्य मूर्त्यंकन, 3. भक्त श्रावक-श्राविका, 4. विनयी श्रावक, 5. उदासीन श्रावक, 6. अन्य अंकन । Jain Education International बारह For Private & Personal Use Only 159 161 169 170 175 175 178 180 181 182 183 www.jainelibrary.org
SR No.002774
Book TitleDevgadh ki Jain Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagchandra Jain Bhaskar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size10 MB
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