________________
131
140
4. मूर्तिकला (तीर्थंकर तथा देव-देवियाँ) 120-166 1. प्रास्ताविक
122 मूर्ति-निर्माण-केन्द्र, उपादान, कलाकार, विभिन्न कला-शैलियों का प्रभाव, स्वतन्त्र मूर्तिकला, परिकर और अलंकरण, च्युतियाँ, वर्गीकरण। 2. देवगढ़ की तीर्थंकर-मूर्तिकला का सामान्य अनुशीलन
127 (अ) गुप्तकाल, (ब) गुप्तोत्तरकाल । 3. तीर्थंकर मूर्तियाँ प्राचीनतम मूर्ति, एक अद्वितीय पद्मासन तीर्थंकर, विशालतम मूर्ति, मं.सं. 6 के मूलनायक, मं.सं. 15 के मूलनायक, अभिनन्दननाथ, ऋषभनाथ, मं. सं. 2 में कायोत्सर्ग तीर्थंकर, पद्मासन तीर्थंकर, मं.सं. 28 के मूलनायक नमिनाथ, आदिनाथ, आदिनाथ, वृषभनाथ, चतुर्विंशति पट्ट। 4. कतिपय विशिष्ट तीर्थंकर मूर्तियाँ (अ) जटाओं की दृष्टि से उल्लेखनीय : 1. मं.सं. 13 के कायोत्सर्ग तीर्थंकर, 2. नेमिनाथ, 3. अन्य उल्लेखनीय मूर्तियाँ।
140 (ब) फणावलि तथा सर्पकुण्डली की दृष्टि से उल्लेखनीय मूर्तियाँ : 141 1. पार्श्वनाथ, 2. सुमतिनाथ, 3. पार्श्वनाथ : पादपीठ के ऊपर सर्प। 142 (स) द्विमूर्तिकाएँ, त्रिमूर्तिकाएँ और सर्वतोभद्रिकाएँ : 1. मं.सं. 13 की द्विमूर्तिकाएँ, 2. द्विमूर्तिकाएँ और त्रिमूर्तिकाएँ, 3. सर्वतोभद्रिकाएँ। (द) चतुर्विंशति पट्ट
143 (इ) 176-मूर्ति अंकित स्तम्भ
144 (ई) सहस्रकूट
144 5. देव-देवियाँ
144 सामान्य लक्षण, महत्त्व का आरोपण, अंकन में शास्त्र-विधि की उपेक्षा, वर्गीकरण। (अ) यक्ष (शासन देव) गोमुख, पार्श्व, धरणेन्द्र।
150 (ब) यक्षी (शासनदेवी) चक्रेश्वरी, चक्रेश्वरी की अनुपम मूर्ति, चक्रेश्वरी की सुन्दर मूर्ति, मं.सं. 19 की दशमुखी चक्रेश्वरी, मानस्तम्भ पर चक्रेश्वरी, अम्बिका, मं.सं. 12 की अम्बिका मूर्तियाँ, अम्बिका यक्षी की अन्य मूर्तियाँ, पद्मावती, धरणेन्द्र और पद्मावती की मूर्तियाँ, मं.सं. 24 में जड़ी मूर्तियाँ : (धरणेन्द्र-पद्मावती), पद्मावती की स्वतन्त्र मूर्ति, चौबीस यक्षियों की मूर्तियाँ, इन यक्षी-मूर्तियों का महत्त्व।
152
ग्यारह
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org