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________________ तिकोयपण्णत्तिका गणित धनुष = [d+h)-(d] यह देखने के लिये कि यह कहां तक शुद्ध है, हम अर्द्ध वृत्त का धनुष प्रमाण निकालने के लिये h=r रखते हैं। इस दशा में धनुष = V२{[d+rj२ - (d)} DVR[९२ - २] __=Verb =/१० प्राप्त होता है, जिसे आजकल के प्रतीकों में लिखा जावेगा। यह सत्र अपने दंग का एक'। उन गणितज्ञों ने का मान १० मानकर इस सूत्र को जन्म दिया। अनु कल कलन से यदि इसका मान ठीक निकालें तो इस सत्र को साधित करना पड़ेगा: V२-(r-h)२ Total Aro= ? | Ve+( )dx. अथवा, पान के आधार पर, केन्द्र पर आपतित कोण प्राप्त कर धनुष का प्रमाण निकाला जा सकता है। गा. ४, १८२-बब बीवा ( chord ), और विस्तार (diameter ) दिया गया हो तो बाण (Height of the segment) निकालने के लिये यह सूत्र दिया है: h=4-[d cohord]] ---[•-(chord) १हालैण के प्रसिद्ध गणित और भौतिकशास्त्री हाइबिन्स (१६२९-१६९५) ने धनुष और' और बीवा से सम्बन्धित निम्न लिखित सूत्र दिये हैं। --_8[Half the Aro Chord of the wholo Aro 46 A .Chord+256(quarter the aro)-40(Half the aro) .. of the aro) Doarly इन सूत्रों में Chord का मान VIE-(r-h)२] रखा जा सकता है तथा ग्रन्थकार द्वारा दिये गये सूत्र से तुलना की जा सकती है। २ चम्मूदीपप्राप्ति २२५, ६।११. स्पष्ट है, कि यह सूत्र, निम्न लिखित समीकरण को साधित करने पर प्राप्त किया गया होगा:४h+(बीया)२-८r.h%D0, यहां b =r4 [* - (चीवा)] प्राप्त होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002773
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2004
Total Pages480
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Mathematics, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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