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तिलोवपण्णत्तिका गणित
(गा. १, २६८) सर्व प्रथम, (आकृति १९ 'अ' और 'ब' ) लोक के नीचे वातवलयों द्वारा वेष्टित क्षेत्रों का घनफल निकालते हैं।
च द एक आयतज ( ouboid ) है लम्बाई ७ राजु, चौड़ाई ७ राजु और उत्सेध या गहराई ६०००० योजन है, .:. उसका घनफल = ७ राजु ७ राजु४६०००० यो.
= ४९ वर्ग गजुx ६०००० यो. होता है। इसे ग्रन्थकार ने मलगाथा में प्रतीक द्वारा स्थापित किया है, यथा:
= ६००००............(१) अब पूर्व पश्चिम में स्थित क्षेत्रों को लेते हैं। वे हैं, फ ब पूर्व की ओर और फ ब सदृश क्षेत्र पश्चिम की ओर । फ ब एक समान्तरानीक (parallelepiped) है, जिसका धन फल लम्बाई x चौड़ाई xउत्सेध होता है।
इस क्षेत्र में उत्सेध १ राजु है, आयाम ७ राजु और बाहल्य या मुटाई ६०००० योजन है .:. दोनों पार्श्व भागों में स्थित वातक्षेत्रों का घनफल =२४[७ राजु४१ राजु ६०००० योजन ] =७ वर्ग राजु-१२०००० योजन
४९ वर्ग राजुx13...योजन होता है।
इसे मूल में, = २२७०० लिखा गया है। ....... (२) (१) और (२) परिणामों को जोड़ने पर ४९ वर्ग राजु (६०००० योजन+१२.०० योजन ) अर्थात् ( ४९ वर्ग राज)(५४० योजन ) घनफल प्राप्त होता है जिसे ग्रंथकार ने = ५४०००० लिखा है।..........I
__ अब उत्तर दक्षिण की अपेक्षा ( अर्थात् सामनेवाला वातवलय वेष्टित लोकांत भाग) पफ तथा पफ के साश पीछे स्थित लाब संक्षेत्र समच्छिन्नक (frustrum of a right prism)हैं। यहां उत्सेध १ राजु ( vertical heightl raju), तल भाग में आयाम ७ राजु, मुख ६९ राजु और बाहल्य ६०.०० योजन है। .:. इसका घनफल=२४३४१ राजु-(
राजु)४६०००० योजन __=३ वर्ग राजु४६०००० योजन १ वातवलयो से वेष्टित वरिमाओं के घनफल निकालने की रीति क्या ग्रीस से प्राप्त हुई, यह नहीं कहा जा सकता। पर, ग्रंथकार द्वारा उपयोग में लाये गये नियमों की तुलना श्री सेन्फोर्ड द्वारा प्रतिपादित विषय “The Study. of Indivisibles" से करने योग्य है । "Cavalieri (1598-1847) mado extensive use of the idea of indivisibles, that is, of considering a surface the smallest element of a solid, & line the smallest element of a surface, and a point that of a line. This concept was the foundation of Cavalieri's famous theurem which reads as follows : If between the same parallels, any two plane figures are constructed, and it in them, any straight lines beidg drawn equidistant from the parallels, the enclosed portions of any one of these lines are equal, the plane figures are also equal to one another, and if between the same parallel planes any solid figures are constructed, and if in them, any planes being drawn equidistant from the parallel planes, the included plane figures out of any one of the planes 80 draws are equal, the solid figures are likewise equal to one another."-"A Short History of Mathematics'', By Sanford, p. 315.
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