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जंबूदीवपण्णत्तिकी प्रस्तावना अगली गाथाओं (२३४-२६६) में ऊर्ध्व और अधोलोक क्षेत्रों को इन्हीं आठ प्रकार की आकृतियों (figures) में बदल कर प्ररूपण किया गया है। उपर्युक्त विवरण, यूनानियों की क्षेत्र प्रयोग विधि (method of application of areas) के विवरण के सहश है।
इन गाथाओं में भिन्न भिन्न घनफल लेकर, सामान्य लोक अथवा उसके भागों अधोलोक और ऊर्च लोक) के घनफल के तुल्य उपर्युक्त आकृतियों को प्राप्त करने के लिये वर्णन दिया गया है। प्रक्रियाएँ और आकृतियों वही होगी।
(गा. १-२६८)
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इन चित्रों में निदर्शित लम्बाइयों के प्रमाण मान रूप नहीं लिये गये है। (आकृति-१८ देखिये) .
.. गा. २७० में वातवलयों से वेष्टित लोक १८ और १९ वी आकृतियों से स्पष्ट हो जावेगा। ग्रंथकार ने जिन स्थानों का वर्णन किया है उन्हीं को आकृति-१९ और २० में ग्रहण किया गया हैं।
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छाल-१६
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