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विकोयपण्णत्तिका गणित
यह सूत्र आज भी उपयोग में लाया जाता है ।
(गा. १, १६६) अधोलोक का घनफल = x पूर्ण लोक का घनफल' ।
(गा. १, १६९) अवलोक का धनफल भी इसी विधि के आधार पर दो वेत्रासनों में विदीर्ण कर निकाला गया है।
(गा. १, १७६-७९)
इन गाथाओं में समानुपाती भागों के सिद्धान्त का उपयोग है।
आकृति ३ में क ख ग घ एक समलम्ब चतुर्भुज
है जिसमें कख और गप समांतर है तथा कष और खग 4
. बराबर है। कख का माप और घग का माप b है।
से कख भूमि और घग मुख है। आाति यदि कस से उसी के समांतर d, ऊँचाई पर मुख की प्राप्ति करना हो तो सूत्र दिया है,
.-[-]d=b, वहाँ b, चछ है। इसी प्रकार, -4-Pld = b, और साधारण रूप से,
१ जंबूदीपप्राप्ति ११, १०९-१०. २ ये विधियाँ और नियम बबूद्वीपप्रज्ञप्ति में भी उल्लेखित हैं । १।२७ ४.३९% १०१२१.
३ समानुपात के सिद्धान्त के आविष्कार के सम्बन्ध में निम्नलिखित उल्लेखनीय है,
" It is true that we bave no positive evidence of the use by Pythagoras of proportions in geometry, although he must have been conversant with similar figures, which imply some theory of proportion".
ga:, "The anonymous author of a scholiam to Euclid's Book V, who is perhaps Prodlus, tells us that 'some say' that this Book, containing the general theory of proportion which is equally applicable to geometry, arithmetic, music and all mathematical science, 'is the discovery of Eudoxus, the teacher af Plato.' 3-Heath, Greok Mathematios, Vol. 1, pp. 85 & 325, Edn. 1921.
साथ ही, कम से कम २१३ ईस्वी पूर्व के अभिलेखों के आधार पर, इस सम्बन्ध में चीनी अभिज्ञान पर कूलिज का अभिमत यह है,
"The Chinese, be it noted, wore familiar with the properties of similar triangles and invented many problems connected with them”.
-Coolidge, A History of Geometrical Methods, p. 22, Edn. 1940 ति. ग.४
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