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जंबूदीपण्णत्ती
[११.२९५
एवं तु महढीको महाणुभागी महाजुदी सक्को। तेल्लोक्कसारविरं भुजदि मच्छरयम्भूवं ॥ २९५ सो तस्स विउहतवपुर्णसंचलो संजमेण णिप्पण्णो । ण चइज्जइ वण्णेदु वाससहस्साण कोरीहि ॥ २९६ वपुरीदो वि पुणो पुष्पाए दिसाए जोयणा बहुगा । गंतूण होइ तत्तो दिध्वविमाणं वरपभेति ॥ २९७ पूणर्दरयणमयं मच्चम्भुदविचित्तवलहिपासादं । सासदसभावसाहं इंदपुरीए समप्प एवं ॥ २९८ तत्य दु महाणुमायो सोमो णामेण विस्सुदजसोयो । सामाणिमो सुरुवो" पडिइंदो तस्स इंदस्स ॥ २९९ अट्वा कोडीमो मच्छरसाणं च तस्स सोमस्स । भग्गमहिसीमो चदुरो णायवा सपरिवारामो ॥ ३०. तिम्णि य परिसा वस्स वि" सत्तेव य होंति परभणीयाणि । इंदादो भवई परिवार उणो" मुजयन्यो । एवं त सुकयतवसंचएण देसंजमोवदेसण 1 भासुरवरबोंदिधरा देवा सामाणियाँ होति ॥ ३०२ दक्मिणदिखाए दूरं गतणं वरसिखंति"णामेण | दिवं ग्यणविमाणं जत्य दु सामणिमो" भवरो ॥३॥
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धारक, महाप्रमावसे संयुक्त, महाकान्तिसे सुशोभित वह सौधर्म इन्द्र तीनों लोकोंमें सारभूत आश्चर्यजनक एवं अद्भुत [विषयसुखको) भोगता है ॥२९५॥ उस सौधर्म इन्द्रका वह महान् तप युक्त पुण्यका संचय- संयमसे उत्पन्न हुआ है। इसका वर्णन हजार करोड़ वर्षोंके द्वारा भी नहीं किया जा सकता ॥ २९६ ।। इन्द्रपुरीसे पूर्व दिशामें बहुत योजन जाकर श्रेष्ठ प्रभ (स्वयंप्रभ) नामक दिव्य विमान है ।। २९७ ॥ सुवर्ण एवं रत्नोंसे निर्मित, अत्यन्त आश्चर्यजनक विचित्र व वलमी युक्त प्रासादोंसे संयुक्त तथा अविनश्वर स्वभाववाली शोभासे (अथवा सौधोंस) सम्पन्न यह विमान इन्द्रपुरीके समान प्रभावाला है ॥२९८॥ उस विमानमें ' सोम' नाम से प्रसिद्ध कीर्तिवाला, महाप्रभावशाली एवं सुन्दर रूपसे सम्पन्न ऐसा उस इन्द्रका सामानिक प्रतीन्द्र रहता है ॥२९९॥ उस सोम लोकपालके साढ़े तीन करोड़ ( ३५००००००) अप्सराय और सपरिवार चार अप्रदेविया जानना चाहिये ।। ३०० ॥ उसके भी तीन परिषद् तथा सातों ही उत्तम सेनायें होती हैं। परन्तु परिवार इन्द्रसे बाधा आधा जानना चाहिये ॥ ३०१॥ इस प्रकार बत एवं संयमसे युक्त पुण्य व तपके संचयसे वे सामानिक देव भास्वर उत्तम रूपको धारण करनेवाले होते हैं ॥ ३०२ ॥ दक्षिण दिशामें दूर जाकर घरशिख (वरशिष्ट ) नामक दिव्य रत्नमय विमान है; जहां दूसरा सामानिक (यम) देव रहता है ॥ ३०३ ॥ पश्चिम दिशामें
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। उ श महिदीओ. २ श सक्के. ३ उ श तोलोक्क. ४ क भवपुण्ण.५ उ न राजा वणे, कण पम्जा वण्णे₹, पब मि चाजइ वणेदु, श णाहज्जवणेहि. ६ उ श जंबूद. • उ श चित्त. ८ उ ईदपुरीए समप्पम, शदपुरीव समप्पमवं. ९ उश विस्सदजसोधो, पब विस्सदससोचो. 1.कसरूवो. ११ तिष्णि कि. ११ क प य परिवारूणो. १३ उ तबसंवराणवरसंजमोववेदेण, क प च तवसंचएणवरसंजमोवदेदेण, शतबसंवएणवरसंबमोबवेदेष. १४ क सविमाणया, पर सबिमाणिया. १५ क पासिमात्ति, पबवरसिकाति, शरसबंति. १९उव समाणियो, पब जब समाणियो, शसेवसमागीयो...
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