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-११. २७४]
एक्कारसमो उदेसो
हिमयमणोगपभावं लामो पाऊण भमरबहुयायो । हियइपिछदाई बहुसो परिति मणोरहसवाई ॥ ११५ बसीससहस्सा बल्लहियाणे पुणो वि अवराण सवंगसुंदरीण' अग्रयच्छणिज्जाणं . पत्तेयं पत्तेयं बलहियामो य लामो सम्वामओ । विउरुग्वंति सरूवा सोलसदेवीसहस्साणि ॥१६ पंचपलिदोगमाई भाटिदि विसयइतितुल्लाणं | सम्वाण देवीणं एसेव कमो मुणेयम्चो ॥१८ बेसायरोवमाई आउटिदि तस्स सुरवरिंदरस । ताव भणेगा देवी उप्पज्जती पर्वतीय ॥ २१९ परिइंदसायतीसा सामाणिया तह य लोयवालाणं । ति पिपरिसाणं णाम विभती ससंबाय'।.. सविदा चंदा य अ, परिमाण तिणि होति नामाणि । मभंतरमजिसमबाहिरा य कमसो मुणेपणा ॥ इस दो य सहस्साई" मम्भंतरपारिसाय समिदाएँ । मजिसमपरिक्षा चंदो पदससाहस्सिमा भागदा ॥ २.१ बाहिरपरिसाए पुणो णामेण जदू जगम्मि विक्खादा । सोलसयसहस्साई" परिसाए सीए णायब्वा ॥२॥ भवरे विय सेयणिया()सत्त वि जहाकम णिसामेह । पायागययाण य वसहाण य सिग्धगामीण ॥
वे देवांगनायें इन्द्र के हृदय अथवा मनमें स्थित भावको जानकर उसके सैकड़ों अभीष्ट मनोरयोंको बहुत प्रकारसे पूर्ण करती हैं ॥२६५॥ अग्रदेवियों के अतिरिक्त उक्त सौधर्म इन्द्रके बत्तीस हजार मल्लमायें होती हैं जो सर्वागसुन्दरी एवं साश्चर्य दर्शनीय है ।। २६६ ॥ उन सब वल्लभाओंमें प्रत्येक वालमा अपने रूपके साथ सोलह हजार देवियों के रूपोंकी विक्रया करती है ॥२६॥ विषय व ऋद्धिमें समानताको प्राप्त उन देवियोंकी आयुस्थिति पांच पत्योपम प्रमाण है। सब देवियोंके यही क्रम जानना चाहिये ॥२६८॥ उस श्रेष्ठ सुरेन्द्रकी आयुस्थिति दो सागरोपम प्रमाण है। इतने समयमें अनेक देवियां उत्पन्न होती हैं और मरती हैं ॥ २६९॥ प्रतीन्द्र, त्रायविंश, सामानिक, लोकपालों तथा तीनों ही परिषदोंके संख्या सहित. नामोंका विभाग [इस प्रकार है। ।। २७० ॥ अभ्यन्तर, मध्यम और बाह्य, इन तीन परिषदोंके क्रमशः समिता, चन्द्रा-व जतु ये तीन नाम जानना चाहिये ॥ २७१ ॥ इनमसे समिता नामक अभ्यन्तर परिषदमें बारह हजार और चन्द्रा नापक मध्यम पारिषदमें चौदह हजार देव कहे गये हैं ॥ २७२ ॥ जो बाह्य परिषद् जगतमें 'जतु' नामसे प्रसिद्ध है उस बाह्य परिषदें सोलह हजार देव जानना चाहिये ॥२७३ ॥ पदाति, गज, अश्व, शीघ्रगामी वृषभ तथा और भी जो सेना है; यथाक्रमसे उस सात प्रकारकी सेनाकी [ विशेषताको ] सुनो ॥२७४॥ पदाति, पीठ, वृषभ, रथ, तुरग, गजेन्द्र
.क मनोहर. १उशसहस्साएं. ३ उबश अमराण, श अम्पाणं.. शपबंगसुरिबहरीन. ५उश सुरूवा. क उल्लाई, बतुलाई..उशवेसागरोवमाए..काय. शयसबापा.
१.उशबदो या."3.शय सयसहस्सा. १२.उ.श समिबीए, ब-समिदीय..11.30 रिसचंदा. १. उश सोलसयसहस्साt.१५उश अवरे वि सेयणेया सतमि य. कपबशपापा. १.उसिधगामी,श सिबगामीण.
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