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बिदिओ उद्देसो
चित्ते वइरे वेरुलि लोहियअंके मसारगल्ले य । गोमज्जए' पवाले य तह जोहरसेत्ति य ॥ ११७ नवमे अंजणे बुत्ते दसमे अंजणमूलये । अंके एक्कारसे बुत्ते फल्ड्रिंके बारसेत्ति ये ॥ ११८ चंदणे वच्चगे' चावि बहुले" पण्णारसेत्ति य | सिलामए वि अक्खाए' सोलसे पुढवी तले ॥ ११९ सोलस चेत्र सहस्सा रयणाएं होंति चेत्र बोद्धव्या । तलउवरिमम्मि भागे जेण दु रयणप्पभा नाम ॥ १२० अवसेसा पुढवीओ बोद्धव्वा होति पंकबहुलाओ । वेहुलिएहि य तेर्सि छन्हं वि इमं कर्म जाणे ॥ १२१ बत्तीसं च सहस्सा अट्ठावीसा तहेव चवीसा । वीसा सोलर्स अट्ठ य ओसरण कमेण बहुलियं ।। १२२ पंकबहुलम्म भागे बोद्धव्वा रक्खसाणमावासा | असुराण ये' चैव तहा अवसेसाणं खरे भागे ॥ १२३ "असुरा णागसुवण्णा दीवोदधिथणि अविज्जुदिसणामी । अग्गीवादकुमारा दसवा भणिदा" भवणवासी ॥ १२४ चदुसठि चुलसीदी बात्रत्तरि" चेव सदसहस्साणि । छावत्तरिं च छण्हें " वार्दिदाणं च छण्णउर्दि ॥ १२५
मसार गल्ला, गोमेद का, प्रत्राला, ज्योतिरसा, नवमी अंजना, दशवीं अंजनमूलका, ग्यारहवीं अंका, बारहवीं स्फटिका, चन्दना, वर्चका ( सर्वार्थका ), पन्द्रहवीं बहुला (बकुला ) और शिलामय, इस प्रकार तलभागमें सोलह हजार योजनकी मुटाईमें ये सोलह पृथिवियां हैं। चूंकि इसके तलव उपरिम भागमें रत्नादि हैं, इसीलिये इसका नाम रत्नप्रभा जानना चाहिये ॥ ११७-१२० ॥ शेष छह पृथिवियां पंकबहुल जानना चाहिये। उन छहों पृथिवियोंके बाहल्यका क्रम यह है ॥ १२१ ॥ बत्तीस हजार, अट्ठाईस हजार, चौबीस हजार, बीस हजार, सोलह हजार और आठ हजार, इस प्रकार यह नीचे नीचे क्रमसे उक्त पृथिवियों का बाहल्य जानना चाहिये ॥ १२२ ॥ पंकबहुलभागमें राक्षसों और असुरकुमारों के आवास तथा खरभागमें शेष व्यन्तर व भवनवासी देवोंके आवास जानना चाहिये ॥ १२३ ॥ असुरकुमार नागकुमार, सुपर्णकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, स्तनितकुमार विद्युत्कुमार, दिक्कुमार, अग्निकुमार और वातकुमार, ये दश प्रकारके भवनवासी कहे गये हैं ॥ १२४ ॥ चौंसठ लाख ( ३४०००००+३०००००० ) चौरासी लाख (४४०००००+४००००००), बहत्तर लाख ( ३८०००००+३४००००० ), छहके छयत्तर लाख ( ४००००००+३६००००० ), और वायुकुमारोंके छयानबै लाख ( ५००००००+४६०००००), यह उन दश प्रकारके भवनवासियोंके भवनोंका प्रमाण है ॥१२५॥ चमर व वैरोचनादि सब इन्द्रोंके क्रमशः चौंतीस लाख
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१ उश गोमजेये, ब मज्जए. २ उश पलिये वारसमेत्ति य, क व फलिके वारसे त्तिय (ब ' या ' ). ३ षु वव्विगे, क वयगे, ब वचगे, श वधिगे. ४ क वक्रुले, व वकुले. ५ ब यण्णारमेत्ति, श पण्णासरे त्ति. ६ श व यक्खाए ७ उ श णामा ८ क पि इसकमं जाणे, बं पि इमं जाणे. ९ ब लोलस्स १० उ अ या ओरसणकमेण, व अड य उसरणकम्मेण, श अडा ओसरणकमेण. ११ असुरण य, श असुचरय. १२ उ यि विज्जुदसणामा, श यणिविजुद सणामा, १३ उ श वणिदा. १४ उ विसन्त्तरि, श विसरित्तं. १५ ' छष्ण्हं ' इत्यत आरम्य अग्रिमछण्हं पदपर्यन्तः पाठस्त्रुटितोऽस्ति काप्रतौ.
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