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-१.१८८ पावो उसो
[१५१ पुम्वेण तदो गंतु वेवण्णसहस्सजोयणपमाणो । वेरुलियरयणवण्णो द्रोह णगो माक्रवतो सि ३५ भट्टदसिहरसहिमो बहुभवणसमाउलो परमरम्मो। तण्णामदेवसहियो निणभवणविहूलिमो विम्यो॥ मरगयपासादडदो विहमवरतोरणेहि रमणीमो । बहुदेवदेविणिवहो गईदसंठाणरमणीको ॥ १८. सुरणगरसंपरिजडो वावीपोक्खरणिवपिणसणाहो । वणसंडमणभिरामो धयवधुवंतकयसोहो ॥१८ पुग्वेण तदो गंतुं पंचसया जोयणाणि सेलादो' । कणयमया वरवेदी होइ पुणो पीलपासम्मि ॥१८१ तत्तो दुपग्वदादो गंतूणं भहसालवणमझे। बावीसं च सहस्सा सीदापासम्मि सा वेदी॥१॥ बेगाउदांगा सगउण्णयभट्ठभागविस्थिण्णा । णाणामणिगणणिवहा सुरभवणसमाउला स्म्मा ॥१८४ याणदीण तीरे विसदिवक्खारपन्यदाणं तु । भवणाणि जिगिंदाणं णिहिट्ठा सम्बदुरितीहि ॥ १८५ पासादा णायब्वा पशुवीला जोयणा दु विस्थारा । पण्णासा मायामा किंचूणडतीसउत्तुंगा ॥ 160 विष्णेष वरद्वारा मणितोरणमंडिया मणमिरामा । वणवेदिएहि जुत्ता णाणामणिरमणपरिणामा ॥ १.. घंटापडायपरा मुत्तादामेहि मंडिया दिग्वा । भिंगारकलसणिवहा वरदप्पणभूसिया पवरा ॥ १८८
इससे पारो पूर्वकी ओर तिरेपन इजार योजन प्रमाण जाकर वैर्य रनके समान वर्णवाला मालवन्त नामक पर्वत है। यह पर्वत चार शिखरोंसे सहित, बहुत भवनोंसे युक्त, अतिशय रमणीय, उसके ही नामवाले देवसे सहित, जिनभवनसे विभूषित, दिव्य, मरकतमय प्रासादो. से युक्त, विद्रुममय उत्तम तोरणोंसे रमणीय, बहुत देव-देवियों के समूह युक्त, गजेन्द्राकृतिसे रमणीय, देवनगरोंसे वेष्टित, वापियों, पुष्करिगियों व खेतोंसे सनाथ, बनखण्डोंसे मनोहर और फहराते हुए ध्वजपटोसे शोभायमान है ॥१७८-१८१॥ पुनः उस पर्वतसे पूर्वको मोर पांच सौ योजन जाकर नील पर्वतके पासमें सुवर्णमय उत्तम वेदी स्थित है ॥ १८२ ॥ मह वेदी उस पर्वतसे आगे भद्रशाल बनके मध्य में बाईस हजार योजन जाकर सीताके प्रासमें स्थित है ।। १८३ ॥ यह रमणीय वेदी दो कोश ऊंची, उंचाईके आठवें भारा (५:०० धनुष) प्रमाण विस्तीर्ण, नाना मणिगणोंके समूहसे युक्त और देवभवनोंसे व्याप्त है ॥१८॥ मादियों के किनारे बीस वक्षार पर्वतोंके ऊपर सर्वदर्शियों द्वारा निर्दिष्ट जिनेन्द्रोंके भवन जाता अहिले ॥ १८ ॥ वे प्रासाद पच्चीस योजन विस्तृत, पचास योजन आयत और कुछ कम अड़तीस योजन ऊंचे जानना चाहिये ॥ १८६॥ तीन उत्तम द्वारों से युक्त, मतितारमोंसे मण्डित, मनको अभिराम, वन-वेदियोंसे युक्त, नाना मणियों एवं रत्नोंके परिणाम रूप, प्रचुर घंटाओं व पताकाओंसे सहित, मुक्तामालाओंसे मण्डित, दिव्य, भंगारों व कलशोंके समूहसे सहित,
इश बेकलिय. २ उ श बहुगामसमाउलो. ३ उ श पायर, व पायार. ४ उ श पंचसयजोय. बाद सेछादी. ५ उ शमसालमण, ब मसालवणमअक्षण. ६ उसगउन्नया, कब सगउण्णय.
सन्नउन्नया. ७ उ किसूण उतीसगुंगा, बचूिणं अस्तीसउतुंगा, 'श किंचूण उत्तीसउतुंगा. ८ कलसप्पणवररयणविहसिया, ब कलसणिवहा वहा वरदप्पणभूसिया.
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