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[ णवमो उद्देसो]
धम्मंजिणिदं पणमिय सद्धम्मुवदेसयं विगयमोई । धणधण्णसमिद्धवरं भवरविदेहं पवक्खामि ॥ । भवरेण तदो गंतु पामेण य रयणसंचयपुरादो। वरवेदिया विचित्ता कणयमया होइ णायब्वा ॥२ तत्तो दुवेदियादो पंचसया जोयणाणि गंतूणं । होदि णगो सोमणसे। णिसधसमीवे समुद्दिट्ठी ॥ ३ चत्तारि जोयणसया उव्विद्धो विस्थडो दु पंचसया | जोयणसयभवगाढो रुप्पमओ होइ णायचो ॥ . तत्तो दु वेदियादो गंतूर्ण भद्दसालवणमज्झे । मंदरपासे णेया वावीसा जोयणसहस्सा ॥ ५ पंचेव जोयणसया उम्विद्धो संखकुंदसंकासो। पणुवीससमहिरभोसयावगाठो दु वज्जममो॥ सोमणसस्सायाम तीससहस्सा य बेसया णेया । णवजोयणा य दिट्ठा छच्चेव कला हवे अहिया ॥७ चदुकूडतुंगसिहरो बहुभवणविहूसिओ मणभिरामो । बहुदेवदेविणिवहो वणकाणणमंडिभो विउलो ॥ ८ वरवैदिएहि जुत्तो वरतोरणमंडिओ परमरम्मो । सोमपददेवसहिमो जिणभवणविहूसिओ दिवो ॥ ९ सत्तो सोमणसादो तेवण्णसहस्स जोयणा गंतुं । अवरदिसे णायन्वा विज्जुप्पणामदो होइ ॥ १० तवणिज्जणिभो सेलो कुरुधणुपट्टद्ध होइ मायामो । सोमणससमो दिवो उण्णयघउभागभवगाठो ॥"
सद्धर्मके उपदेशक और मोहसे रहित धर्मनाथ जिनेन्द्रको नमस्कार करके धन-धान्यसे समृद्ध उत्तम अपर विदेहका वर्णन करते हैं ॥१॥ उस रत्नसंचयपुरसे पश्चिममें जाकर सुवर्णमय विचित्र उत्तम वेदिका जानना चाहिये ॥२॥ उस वेदिकासे पांच सौ योजन जाकर सौमनस नामक पर्वत स्थित है। यह रजतमय पर्वत निषधके समीपमें चार सौ योजन ऊंचा, पांच सौ योजन विस्तृत और सौ योजन अवगाहसे युक्त जानना चाहिये ॥३-४ ॥ उस वेदिकासे बाईस हजार योजन प्रमाण भद्रशाल वनके मध्यमें जाकर शंख एवं कुन्द पुष्पके सदृश वर्णवाला वह पर्वत मन्दर पर्वतके पासमें पांच सौ योजन ऊंचा, तथा एक सौ पच्चीस योजन प्रमाण वज्रमय अवगाहसे युक्त जानना चाहिये ॥ ५-६॥ सौमनस पर्वतका आयाम तीस हजार दो सौ नौ योजन और छह कला अधिक कहा गया है ॥ ७॥ यह दिव्य पर्वत चार •कूटोंसे युक्त, उन्नत शिखरवाला, बहुत भवनोंसे विभूषित, मनको अभिराम, बहुत देव-देवियोंके समूहसे संयुक्त, वन-काननोंसे मण्डित, विपुल, उत्तम वेदिकाओंसे युक्त, उत्तम तोरणोंसे मण्डित अतिशय रमणीय, सोमप्रभ देवसे सहित और जिनभवनसे विभूषित है ॥८-९ ॥ उस सौमनस पर्वतसे आगे तिरेपन हजार योजन जाकर पश्चिम दिशामें विद्युत्प्रभ नामक पर्वत जानना चाहिये ॥१०॥ यह पर्वत तपाये गये सुवर्णके सदृश, कुरु क्षेत्रके अर्ध धनुषपृष्ठके प्रमाण भायामवाला, सौमनसके समान आकारवाला, दिव्य, उंचाईके चतुर्थ भाग प्रमाण अवगाहसे संयुक्त,
उश
व वेदियदो. २ उ पुश्वीससमिधिरेओ, ब पशुवीससमधिरेय, श पुथ्वीसम्मधिरेओ. सोमनमायो तेवण, व सोमणसाहो तेवण, ४ उ श विम्जप्पम. ५ ष णवाणिज्ज.
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