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अgमो उद्देसो
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भवरेण तदो गर्नु होइ पुणो मंगलावदी विजओ । घणधण्णस्यणपुष्णो' बहुगामसमाउलो रम्म। ॥ १७५ सोलस चेव सहस्सा पंचव सया हवंति वाणउदा। वे चैव कला अधिया भयामो तस्स विजयस्स ॥ 1.1 यावीसजोयणसया बारह वह जोयणा समुहिट्ठा । सत्तट्ठभागसहिया विक्खंभो तस्स देसरस ॥ १७७ वरणगरखेडाबडमडबैदोणामुहेहिं संछण्णो । बहुदीवविउलपट्टणस्यणायरमंडिओ दिवो ॥ १७८ गंगासिंधू वि तहा दो वि गदी उत्तरामुही जंति । वणवेरिएहि जुत्ता वरनोरणमंडिया दिवा ॥ १७९ दुकला बेकोसहिया उणतीसा तह य सोलससंहस्सा । पंचेच जोयणसया गंगासिंधूण आयामं ॥ १८० छज्जायण सक्कोसा णिसहसभीवे णदीण विक्खंभा । गाउवअद्भवगाई दसगुण सीयासमीवम्मि ॥१८१ बेकोसा वासट्टा गंगाकुरप्पमाणविक्खंभं । मायाम णिहिट दसोयण होइ अवगाहं ॥ १८२ छायण सक्कोसा मायामा तोरणा समुद्दिट्ठ। । जोयणच उत्थभागा विक्खंभा होति गायवा ॥ 1८३ समहियदिवढकोसा णवजोयण तोरणा समुत्तुंगा। गंगासिंधूण तहा णिसंधसमीवे वियाणाहि ॥ १८४
धान्य एवं रत्नोंसे परिपूर्ण और बहुत प्रामोंसे घिरा हुआ रमणीय मंगलावती नामक विजय है ॥ १७५ ॥ उस विजयका आयाम सोलह हजार पांच सौ बानबै योजन और दो कला अधिक है ॥ १७६ ॥ उस देशका विष्कम्भ बाईस सौ बारह योजन और एक योजमके आठ भागोंमेसे सात भाग अधिक कहा गया है ॥ १७७॥ उक्त दिव्य विजय उत्तम नगरों, खेड़ों, कर्बटों, मटंबों और द्रोणमुखोसे व्याप्त तथा बहुतसे द्वीपों, विशाल पट्टनों एवं रत्नाकरोंसे मण्डित है ।। १७८ ॥ वन-वेदियोंसे युक्त और उत्तम तोरणोंसे मण्डित दिव्य गंगा व सिन्धु नामकी दोनों हि नदियां उत्तराभिमुख होकर जाती हैं ॥ १७९ ॥ गंगा और सिन्धु नदियोंका आयाम सोलह हजार पांच सौ उनतीस येोजन, दो कोश और दो कला अधिक (१६५९२१३ - ६२३ = १६५२९३३ ) है ॥१८०॥ निषध पर्वतके समीपमें उक्त दोनों नदियोंका विष्कम्भ छइ योजन एक कोश और अवगाह आधा कोश मात्र है । सीता नदीके समीपमें उक्त नदियोंका विष्कम्भ व अवगाह इससे दशगुणा है ॥१८१॥ गंगाकुण्डके विष्कम्भ व आयामका प्रमाण दो कोश व बासठ योजन तथा अवगाह दश योजन मात्र है ।। १८२ ।। तोरणों का आयाम छह योजन एक कोश और विष्कम्भ योजनके चतुर्थ भाग प्रमाण जानना चाहिये ॥१८३॥ गंगा-सिन्धु नदियोंके तोरण निषधके समीपमें नौ योजन और डेद कोश प्रमाण ऊंचे जानना चाहिये ॥ १८॥ जिनेन्द्रोंके द्वारा निर्दिष्ट गंगा-सिन्धु
१५ स्यणपतरो. २ प सिहिया, ब सिहिय ३ प मदंव, व दंद. ४ प व पट्टण. ५ पब अवंति. ६श सणसीसा सहिया सोलस. ७ उश ण्णिसहसमेण विक्खंम. ८ पब गाउय. ९ब कुछ. १. उनिसच, शनिच.
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