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-८.११.)
अट्ठमो उद्देसो
देसस्स तस्स मा णामेण पभेकरा हवे णगरी । पायारगोठरजुदा मणितोरणमंडिया दिवा ॥ १५ मरगयपासादजुदा विहमवरपउमरायघराणिवहा । फलिहमणिभवणपउरा कंचपासादसंजुत्ता ॥ धुम्वतधयवहाया जिणभवणविहूसिया परमरम्मा । उववणकाणणसहिया वरपोक्खरणीहि रमणीया ॥ १३० तत्तो भवरदिसाए मसजला णामदो णदी होइ । बरवेदिएहि जुत्ता बरतोरणमंडिया दिव्वा ॥ १३८ सत्तसहस्सणदीहि य चउरम्भस्थेहि तह य संजुत्ता। कुंडादो हिस्सरितुं सीयायलिलं पविसई सरिया । तत्तो अवरदिसाए रम्मा णामेण जणवदो होइ । बहुविहजणसंपण्णों' रम्मो सो सम्वलोयाणं ॥ 1. रमणीयकम्बजुदो रमणीयमबखेडसंपुष्णो । रमणीयखेत्तणिवहो रमणीयणदीहिं संपण्णों ॥१॥ रमणीयगामपउरो रमणीयमहंतपट्टणाइण्णो । रमणीयणगरणिवहो रम्मा सो तेणगुणणामो ॥॥१४ देसस्स मज्झभागे गंगा तह सिंधु णाम सरियामओ । चउदसणदीहि सहिया सहस्सगुणिवाहि दीसंति ॥ वेदलगिरी वितहा दीसह देसस्स मज्मभागम्मि । दसमहियसएहिं तहा णगरेहि विहूसिनो हुंगो।"
॥ १३२-१३४ ॥ उस देशकी राजधानी प्रमंकरा नामक नगरी है। यह नगरी प्राकार व गोपुरोंसे युक्त, मणिमय तोरणोंसे मण्डित, दिव्य, मरकतमणिमय प्रासादोंसे युक्त, मूंगा व उत्तम पद्मरागसे निर्मित गृहसमूहसे सहित, स्फटिकमणिमय भवनोंकी प्रचुरतासे युक्त, सुवर्णमय प्रासादोंसे संयुक्त, फहराती हुई ध्वजा-पताकाओंसे सहित, जिनभवनोंसे विभूषित, अति. शय रमणीय, उपवन-काननोंसे सहित, तथा उत्तम पुष्करिणियोंसे रमणीय है ॥१३५-१३७॥ उससे पश्चिमकी ओर मत्तजला नामकी नदी है। यह नदी उत्तम वेदियोंसे युक्त, उत्तम तोरणोंसे मण्डित, दिव्य और चारसे गुणित सात अर्थात् अट्ठाईस हजार नदियोंसे संयुक्त होती हुई कुण्डसे निकल कर सीता नदीके जलमें प्रवेश करती है ॥ १३८-१३९ ॥ उससे पश्चिमकी ओर रम्या नामक देश है। वह देश बहुत प्रकारके जनोंसे सम्पन्न, सब लोगोंके मनको हरनेवाला, रमणीय कर्बटोंसे युक्त, रमणीय मटंबों व खेड़ोंसे परिपूर्ण, रमणीय खेतोके समूहसे सहित, रमणीय नदियोंसे सम्पन्न, रमणीय प्रचुर प्रामोंसे संयुक्त, रमणीय महा पहनौसे व्याप्त और रमणीय नगरसमूहसे युक्त है। इसी कारण वह 'रम्या' इस सार्थक नामसे संयुक्त है ॥ १४०-१४२ ॥ उस देशके मध्य भागमें गंगा तथा सिन्धु नामक मदिया चौदह हजार नदियोंस सहित दिखती हैं ॥१४३ ॥ तथा उक्त देशके मध्य भागमें एक सौ दश नगरोसे विभूषित उन्नत वैताढ्य पर्वत मी दिखता है ॥११॥ उस देशकी
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१प अवरिंदसाण, ब अवरिंदसाए. २ उश चउमहि , पचमरवकेहि बचउरवणेहि...., सदाश साया. ४ उश संपुण्णो. ५पब रम्मे. ६ पब संपण्णी. ७५ ब संखमो. शम्मो. .पषतेण. १. उशगुणिदेहि देसंति. "उश.
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