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अट्टम उद्देस
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तो पुवेण तद्दा दहवणामा नदी समुद्दिट्ठा | मणिमय सोवाणजुदा वणवेदिवि हसिया दिग्वा ॥ ३२ मणितोरणेहि जुता मट्ठावीसासहस्वणदिसहिदा । सीयासलिलं पविसद् तोरणदारेण दिग्वेण ॥ ३३ पुवेण तदो गंतु आवता' नाम जणवदो होइ । घणघण्णरयणकलिदो णयरायरमंडिभो पवसे ॥ ३४ छण्णव गामकोडी भूसिभ गोउलेहि संछण्णो । रत्तारसोदेहि प वेदढणगेण कयसीमो ॥ ३५घरसाविप्पपउरो फणसंबमऊद्दकय लिसंछण्णो 1 पोक्खर णित्राविषउरो सरंगविमाणच्छविहर || १६ देसम्म होइ जयरी खग्गा णामेण दसदिसक्खादा । बहुभवणसंपरिउडा सुरिंदणगरी व पच्चक्ला ॥ ३७. तिरथयरपरमदेवा गणहरदेवा तदेव चक्कधरा । बलदेववासुदेवा मंडलिया तस्थ साहीणा ॥ ३८ गंतूण तदो पुव्वे होइ तहा णलिणफूड गिरिपवरो । कंचणमभो विश्वित्तो दुसिहर विहूसिमो रम्मा ॥ ३९ वणसंडेहि य रम्मो मे गाउयवित्थरेहि रम्मेहि । वरतोरणेहिं जुत्तो मणिमयवेदीहि परियरिभो ॥ ४०
गहिरो वावी पक्खरणिसंजुदो दिग्यो । तण्णामदेवसहिभो जिणभवणविसिनो परमो ॥ ४१
इसके पूर्व में द्रवती नामकी नदी कही गई है । यह नदी मणिमय सोपानोंसे युक्त, वन-वेदियों से विभूषित, दिव्य, मणिमय तोरणोंसे युक्त और अट्ठाईस हजार नदियोंसे सहित होती हुई दिव्य तोरणद्वार से सीता नदी के जलमें प्रवेश करती है ॥ ३२-३३ ॥ उसके पूर्वमें जाकर आवर्ता नामका देश है । यह देश धन-धान्य व रत्नोंसे युक्त, नगरों व आकरोंसे मण्डित, श्रेष्ठ, छयानबे करोड़ ग्रामोंसे भूषित, गोकुलोंसे व्याप्त, रक्ता-रक्तोदा ब वैताढ्य पर्वत की गई सीमासे संयुक्त, उत्तम शालि धान्यके प्रचुर खेतों से सहित; पनस, आम्र, महुआ एवं कदली वृक्षोंसे व्याप्त और पुष्करिणियों व वापियोंकी प्रचुरता से युक्त होता हुआ स्वर्गविमानकी छविको फीकी करता है ॥ ३४-३६ ॥ उस देशमें बहुत से भवनों से वेष्टित और दशों दिशाओं में प्रसिद्ध जो खड्गा नामकी नगरी है वह साक्षात् सुरेन्द्रनगरी (अमरावती) के समान है ॥ ३७ ॥ उस नगरी देवाधिदेव तीर्थकर, गणधरदेव, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव तथा मण्डलीक राजा स्वतंत्रतापूर्वक रहते हैं ॥ ३८ ॥ उसके पूर्व में जाकर नलिनकूट नामक उत्तम पर्वत है । यह सुवर्णमय श्रेष्ठ पर्वत विचित्र, चार शिखरों ( कूटों) से विभूषित, दो कोश विस्तारवाले रम्य वनसमूहोंसे रमणीय, उत्तम तोरणोंसे युक्त, मणिमय बेदीसे वेष्टित, चार कूटोंसे युक्त उन्नत शिखरवाला, वापियों व पुष्करिणियोंसे संयुक्त, दिव्य, अपने नामवाले देवसे सहित और जिनमवनसे विभूषित है ॥ ३९-४१ ॥ उसकी पूर्व दिशामें
रम्य,
रहद्द
१ र श आवतो. २ उ रा फणसंचयट उहकालियो प व फनसंबहुन्यकदलसंडण्ण वणसंचाहि य रम्मो, श बणसं. म. इम्मो. ५. उद्या गव्य, ६ प· परियारिओ, म परिवारिय जं. डी. १८.
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