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सत्तमो उदेसो
[११ उम्मग्गनिमग्गजल सरियाभो जत्य होति णिहिट्ठा । तहि भावासह सेणं परदो' ण तारज्जो गर्नु । वेगेण वहइ सम्यिा उभयतो परिजण सलिलेग । सेण्णो वि तह विसण्णो' भन्छह चिताउरी' लोगो । ण मि को वि जाणइ गरों गमणोवाय गाविस परतीरं । मोत्तण चक्कवट्टी तक्खगरयणो य ते दैणि बहरयण पुणो महंत जंतं तु"कम बर्दू । तेण वरसंकमेण य खंदावारी समुत्तरितो" ॥ तत्तो दु संकगादो पणुवीस जोयणागि तूणं । सेण्णं णीसरदि पुणो उत्तरवारेण दिब्वेण ॥ १३१ सेण्णं णीसग्दूर्ण मावासह मेछखंडममम्मि : मिच्छणांदा य", पुणा सणं दण" संभंता ॥ १॥ कुलदेवदाण पास' गंतूणं विण्ण" ते मिच्छा । सेण्णस्स दुभागमणं सोऊण य "बिपरिकुविदा । मेघमुहणामदेवो मागंण करेदि" उसग्गं । गाणाविहेहिं बहुमो वस्पादी घोररूवेति ॥५ गवि खुम्भई सो सेण्णो बहुविउवसग्गरहि जाएहिं । चकाहरणस्वरस्स दु सम्ममहप्पैमावेण ॥॥
और निमग्लजला नदियां निर्दिष्ट की गई हैं वहां सेनाको ठहरा देते हैं, क्योंकि, इससे आगे जाने के लिये यह सैन्य समय नहीं होता ॥ १२८ ॥ जलसे उमय तटोंको पूर्ण करके नदी वेगसे बहती है । ऐसी अवस्थामें सेना व सब जनसमुदाय खिन्न एवं चिन्तातुर होकर स्थित रह जाता है ।। १२९ ॥ चक्रवर्ती और तक्षक रत्न, इन दोको छोड़कर कोई भी मनुष्य नदीके उस पार जाने के उपायको नहीं जानता ॥ १३०॥ फिर बढ़ई रत्नक द्वारा जो वह विशाल पुल बांधा जाता है उस उत्कृष्ट पुलपरस सब सेना पार हो जाती है ॥ ११ ॥ उस पुलसे पच्चीस योजन जाकर वह सैन्य दिव्य उत्तर द्वारसे निकलता है ॥ १३२ ॥ सेना गुफासे निकल कर म्लेच्छखण्डके मध्यमें ठहरा दी जाती है। उस सेनाको देख कर म्लेच्छ राजा घबड़ा जाते हैं ॥ १३३ ॥ वे म्लेग्छ राजा कुलदेवताओंके पास जाकर विनती करते हैं । वे भी सैन्यके आगमनको सुनकर कोपको प्राप्त होते हैं ॥१३९ ॥ मेघमुख नामक देव आकर नाना प्रकारके भयानक रूपोंसे वर्षा आदि रूप उपद्रव करता है ॥ १३५॥ परन्तु वह सेना पुरुषपुंगव चक्रवर्तीके धर्म-पुण्यके महान् प्रभावसे उन बहुत प्रकारके उत्पन्न हुए उपसगों द्वारा क्षोभको प्राप्त नहीं होती ॥१३६ ॥ फिर भी वह मेघमुख
.उ उम्मग्गम्मिग्गजला, श उम्मग्गीण माजला. २ पब सरियाओ होति. ३ब परिदो.. सिरिजदे प..., व तरिजए. श तिरिजादे. ५ उ सेण्णो विविहसण्णो, श सेण्णो विविहविसण्णो. प बपिताबरो. ७प कोवि जाइरो, को विजाइमहरो. ८ उ तदिस्स, श तसिस्स. ९पबमोदण १. उशकोण... उ महत्तजतं तु, पब महंततं तु, श महत जति १२ उश समुचिट्ठा. १३ पब पणवीसा. १५पब मेरीरदाण. १५ उ चदण, पदठुण, बदहण श चदु. १६ पब वासं, १७ उश
उ सेणग्य, श सेणस्याम. १९उ श से. २० उश मेघहा गामदेवो, पब मेषमुहा णमुदेवा, ॥ उश करदि. २२ उवाग्बादी, पबवषादी, ग्वादी. २३ उश सुष्मा २५ पदमाप्प.
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