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मूदीवपणती
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बेकोलसमधिरेयाबासा जायणा समाि । सीदासीदादा पवेसमाणेण विक्सभं ॥१२ विक्संभ इण्टरहियं विक्खभासस मेलवेर्ण । जंबदीवस्स तहा विक्खंभे सोहिऊण पुणो' ॥ २॥ अवसेसं जं दिई विखंभिच्छेण भाजिदं लदं । तं होदि इच्छिदाणं सवाणं इच्छविक्खंभे ॥ २५ यह होह सोजमरासी जोयणलक्खं अवट्रिदंसदमणवट्रिदा य या सोहणरासी समुट्ठिा ॥ २५ चरसटुिंब सहस्सा पंचव सपा हवंतिणउदा सोहणासी गेषा विदेहवंसस्स बिजयाणं ।। २६ से ज्झम्मि दु परिसुद्धं सेसं तह सोलसेहि पविभत्सं । जं लवं णायव विजयाण होह विक्ख ॥ २७ अण्णउर्दिच सहस्सा सोजाम्लिय सोहिदण भवसेर्स | अविभत्ते बई वखाराणं तु विक्ख ॥ २८
सय दो कोशेसे अधिक बासठ (६२) योजन प्रमाण कहा गया है ॥ २२ ॥ इछित ( विजय आदि ) के विष्कम्भसे रहित शेष सबके विष्कम्भको मिलाकर तया उसे जम्बू द्वीपके विष्कम्भमेंसे घटा कर जो शेष दृष्टिगत हो उसे विष्कम्भकी इन्छा अर्थात् विजयादिकोंकी संख्या ( १६,८,६,२,२ ) से भाजित करनेपर जो लब्ध हो उतना इच्छित सब विजयादिकोंका इच्छित विष्कम्भ होता है ॥ २३-२४ ।। यहां शोध्य राशि (जिससे घटाना अभीष्ट है ) जो एक लाख योजन है वह सदा अवस्थित है । शोधन (घटाई जानेवाली ) राशि अनवस्थित कही गई जानना चाहिये ।। २५ ॥ विदेह वर्षके विजयोंकी शोधन राशि चौसठ हजार पांच सौ चौरान जानना चाहिये ॥ २६॥ इस राशिको शोध्य राशिमसे शुद्ध करके शेषको सोलहसे विभक्त करनेपर जो लब्ध हो उतना विजयोंका विष्कम्भ जानना चाहिय ।। २७॥
उदाहरण- यदि हम विदेह क्षेत्रस्थ १६ विजयोंमेंसे प्रत्येकका विस्तार जानना चाहते हैं तो उक्त १६ विजयों के समुदित विस्तारको छोड़कर शेष ८ वक्षार पर्वतों (५००४८ = ४००० यो.) ६ विभंगा नदियों ( १२५ x ६ = ७५० यो.), २ देवारण्यों (२९२२४ २ = ५८४४), २ भद्रशाल वनों (२२०००x२ = १४०००) तथा मेरु पर्वतके विस्तार (१०००. यो. ) को मिलाकर उसे १००००० यो. ( जम्बू द्वीपका विस्तार ) में से कम करना चाहिये- १००० + ७५० + ५८४४ + ४४००० + १०००० = ६४५९४, १००००० - ६१५९४ = ३५१०६। अब चूंकि विजयों की संख्या १६ है, अत एव इसमें १६ का भाग देनेपर इष्ट प्रत्येक विजयका विस्तार प्राप्त हो जाता है- . ३५४०६ १६ = २२१२४ यो. प्रत्येक विजयका विस्तार ।
छ्यानबै हजार ( ३५१०६ + ७५० + ५८४४ + ४१००० + १०००० = ९६०००) को शोध्य राशिमेंसे घटाकर शेषको आठसे विभक्त करनेपर जो लब्ध हो उतना वक्षारोंका विष्कम्भ होता है ॥ २८ ॥ निन्यानमै हजार दो सौ पचास ( २५४०६
१ उपबश सममित्या. २ उ श पुरो. ३ उ श अवदि. ४ उश परिसाद. ५५ ब सोनमम्मि दु सो सहेजन.
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