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-७. २१]
सत्तमो उद्देसो
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सोलस चेव सहस्सा पंचव सदा हवंति बाणउदा। जोयणसंखा दिवा बेचेव कला हवे महिया ॥" सीदासीदोदाणं विखंभे पंच जोयणसयाणि । तं सोहिऊण सम्वं विदेहविक्खंभमन्मम्मि ॥ १२ सेसं अन्द्र किच्चा में लद्धं होइ ताण मायाम । पञ्चदखेतादीणं दीण सम्वाण णायब्वा ॥ १३ यावीतं च सहस्सा जोयणसंखापमाण णिद्दिा । दोई वणाग या षिक्खभ होहणियमेण ॥१४ उणतीजोयणसया यावीसा तह य होह विक्खंभो। देवारणचउण्डं जायच्या उवाहियंतम्मि ॥१५ बेगाउयउविद्धा पंचेव य धणुसया हवे विउला । अट्ठाई वेदोणं णायग्वं होह विक्खंभं ॥ १६ पणुगीत ओयणसयं विदेहममम्मि तह य णिहिट्रा । बारसणदीगणेया विभंगणामाण विक्खों ॥1 पंचेच जोयणतया विक्खंभ होह तह य णायव । सोलसवक्खाराण णिटिं सम्वदरिसीहि ॥ १८ णीलणिसहाण भागे सेला पदुसय जोयणा समुत्तुंगा । सीदासीदोदाण य तडेसु ते होंति पंचसया ॥ १९ बावीसजोयणसया बारस सत्तटूभागमधियं । बत्तीसण्ई या विजयाणं होइ विक्खंभे ॥२० कुंडाण तह समीवे सक्कोसा जोयणा य छच्चेव । चउसटिवरणदीणं विक्खंभ होहणायन्वं ॥२॥
नदियों के विष्कम्भ व आयामका संक्षेपसे कथन करते हैं। इन सबका आयाम सोलह हजार पांच सौ बानबै योजन और दो कला अधिक कहा गया है ॥८-११॥ सीता-सीतोदाका विस्तार पांच सौ योजन प्रमाण है। उस सबको विदेहके विस्तारमेंसे कम करके शेषको आधा करनेपर जो लब्ध हो उतना उन पर्वत, क्षेत्रादिक तथा सब नदियोंका आयाम जानना चाहिये ( ३३६८४१५ - ५०० २ = १६५९२१२३ ) ॥ १२-१३ ॥ दोनों (भद्रशाल] वनोंका विष्कम्भ नियमसे बाईस हजार योजन प्रमाण निर्दिष्ट किया गया है ॥१४॥ समुद्र तक स्थित चार देवारण्योंका विष्कम्भ उनतीस सौ बाईस ( २९२२) योजन प्रमाण जानना चाहिये ॥ १५॥ आठों वेदियों की उंचाई दे। कोश और विष्कम्भ पांच सौ धनुष प्रमाण जानना चाहिये ॥ १६ ॥ विदेहके मध्यमें विभंगा नामक बारह नदियोंका विस्तार एक सौ पच्चीस योजन प्रमाण निर्दिष्ट किया गया है ॥ १७ ॥ सोलह वक्षार पर्वतोंका विष्कम्भ सर्वदर्शियोंने पांच सौ योजन प्रमाण निर्दिष्ट किया है ॥ १८ ॥ ये शैल नील और निषधके पासमें चार सौ योजन तथा सीता-सीतोदाके तटोपर पांच सौ योजन प्रमाण ऊंचे हैं ॥ १९ ॥ बत्तीस विजयोंका विष्कम्भ बाईस सौ बारह योजन और एक योजनके आठ भागों से सात भाग अधिक जानना चाहिये ॥ २० ॥ चौंसठ उत्तम नदियोंका विष्कम्भ कुण्डोंके समीपमें एक कोश सहित छह (६१) योजन प्रमाण जानना चाहिये ।। २१ ।। उक्त नदियोंका विस्तार सीता-सीतोदाके जलमें प्रवेश करते
उश सवे. २ उश अच्छंण्हं. ३ उश तह य होइ णायब्वा. ४ उ सेल, श सोळा. ५ पब बजायणसमतुंगा, शचदुजोयण। समूखंगा. ६ उ मागअजाधियं, पब भागमम्शधियं, श भागअलीधियं.
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