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जंबूदीपण
[ ६.१४५
वणवेदिविष्फुरंता मणिकंचनतेोरणेहि संजुत्ता । जोयणसयमुन्विद्धा तद्ववित्धारवरसिहरा ॥ १४५ बहुभवणसं परिउडा णाणाविह कप्प रुखसंकृण्णा । पोक्खरिणिवाविपउरा जिणभवणयिहूसिया रम्मा ॥ १४६ बहुदेवदेविणिवा तणापादेवराय सादीणा | देवकुरुमि विखेत्ते सुवण्णसेला समुद्दिट्ठा ॥ १४७ देवकुरुम्मि दु से सीदादापच्छिमे तडे रुक्खो । मंदरगिरिस्त णेया ईसादिसार हवे सादी ॥ १४८ पंचैव जोयणसदा विखभायाम दिव्यमणिपीढं । मज्झे बारह बहलं जोयणभद्धं तु अंतम्मि ॥ १४९ घरवेदिएहि जुत्तं मणितोरणमंडियं मणभिरामं । बहुविदपायवैणिव सरवरेबावीहिं रमणीयं ॥ १५० तस्स बहुमज्झदेसे होइ तहा दक्खिगुत्तरामामं । भट्टेव जोयणाई" तद्द्वउत्तुंग मणि ॥ १५१
जोयणविक्खंभं बारहवेदीहिं परिउद्धं दिव्वं । मणिगणजलंत भासुर तोरणभडदाल संछण्णं ॥ १५२ तं मझयं पीढं मणिमय भट्ठद्धजोयणुत्तुंगँ । जोयणसमचदुरस्थं' णाणामणिरयणसंकणं ॥ १५३ तस्स दु उवरिं होदि य सामलिरुक्खो महभसंकासो । साहवसाहगहणो" मणिकंचणरयणपरिणामो ॥१५४
व वेदियोंसे स्फुरायमान, मणिमय एवं सुवर्णमय तोरणोंसे संयुक्त, सौ योजन ऊंचे, इससे आधे ( ५० यो. ) शिखर विस्तारसे युक्त, बहुत भवनोंसे वेष्टित, नाना प्रकार के कल्प वृक्षोंसे व्याप्त, प्रचुर पुष्करिणी व वापियोंसे सहित, जिनभवनोंसे विभूषित, रमणीय, बहुत देव-देवियोंके समूह से सहित, तथा उन्हीं पर्वतों जैसे नामोंके धारक देवराज के स्वाधीन ऐसे सुवर्ण ( कंचन ) शैल देवकुरु क्षेत्रमै भी कहे गये हैं ॥ १४५ - १४७ ॥ देवकुरु क्षेत्रमें मन्दर गिरिकी ईशान (नैऋत्य ? ) दिशामें सीतोदा के पश्चिम तटपर स्वाति ( शाल्मलि ) वृक्ष जानना चाहिये ॥ १४८ ॥ पांच सौ योजन प्रमाण विष्कम्भ व आयामसे सहित तथा मध्य में बारह व अन्तमें अर्ध योजन बाहल्याला दिव्य मणिमय पीठ है ॥ १४९ ॥ यह मणिपीठ सहित, मणिमय तोरणोंसे मण्डित, मनको अभिराम, बहुत प्रकारके वृक्षों के समूह से सहित, और सरोवर एवं वापियों से रमणीय है ॥ १५० ॥ उसके बहुमध्य भागमें आठ योजन दक्षिणउत्तर लंबा, इससे आधा ऊंचा, चार योजन विस्तृत, बारह वेदियोंसे वेष्टित, मणिसमूहकी दीप्तिसे भासुर तथा अड़तालीस तोरणों से व्याप्त दूसरा मणिमय दिव्य पीठ है ॥१५१-१५२॥ वह मध्यगत मणिमय पीठ आठके आधे अर्थात् चार योजन ऊंचा, एक योजन समचतुष्कोण और नाना मणियों व रत्नोंसे व्याप्त है ॥ १५३ ॥ उसके ऊपर महामेघ के सदृश, शाखाउपशाखाओं से गइन; मणि, सुवर्ण एवं रत्नोंके परिणाम रूप, दो कोश अवगाहसे युक्त,
उत्तम वेदियोंसे
१ उ रा सयस मुव्विद्धा. २ उ गिरिस नेहा ईसाण, प व गिरिस्स या साण, श गिरिस नेहसाण. ३ प ब पयाव ४ उ श सुखर. ५ उब जोयणायं, श जोयणाय ६ उश बहु. ७ उश अद्धद्धजोयशुत्तुगं, प व अद्धजोयणातुंगा. ८ ब बहुरंसं. ९ च मद्दत. १० प ब गमणो.
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